________________
(१४०) ॥ श्री नवतत्त्वविस्तरार्थः ॥
वा. काळ संख्यानी मर्यादा शास्त्रकारे अहिं सुधीज ( ' शीर्षप्रहेलिका सुधीज ) दर्शावी छे, एथी आंगलनी घणी मोटी संख्या प्यालानी उपमाए दर्शावी हे जे सर्व शास्त्रान्तरथी जाणवा योग्य छे.
पूर्वे कलां असंख्यातवर्ष प्रमाण १ पल्योपन थाय. पल्योपमनां असंख्यवर्षोनी गणत्री स्थूलबुद्धिजीवथी न थइ शके माटे तेनी गणत्री शास्त्रकारे प्यालानी उपमाथी संक्षेपमां आ प्रमाणे दर्शावी छे - १ योजन लांबो - १ योजन व्होको -अने १ योजन उंडो एवा कूवानी अंदर उत्तरकुरुक्षेत्रना मनुष्योनुं मस्तक मुंडा
एक सात दिवस सुधीमां उगेला केशनां असंख्यभाग करी ( ते कूवो ) भरीये ने सो सो वर्षे एकेक खंड काढतां जेटली वर्ष थाय तेलां वर्ष प्रमाण १ पल्योपम कहेवाय (पल्योपमना ६ भेद वगेरे अधिकवर्णन शास्त्रान्तरथी जाणवुं . )
३
पूर्व कहेला १० कोटा कोडी (१००००००००००००००
लता तदन्तर आगल महालतांग, महालता, नलिनांग, नलिन, महान लिनांग, महानलिन, पद्मांग, पद्म, महापद्मांग, महापद्म, कमलांग, कमल, महाकमलांग, महाकमल. कुमुदांग, कुमुद, म हाकुमुदांग, महाकुमुद, त्रुटितांग, त्रुटित, महात्रुटितांग, महात्रुटित, अडडांग, अडड, महाअडडांग, महाअडड, ऊहांग, ऊह, म हाऊहांग, महाऊह, शीर्षप्रहेलिकांग, असे शीर्षप्रहेलिका,
१ १८७९५५१७९५५०११२५९८४१९००९६९९८१३४३०७७०७
९७४६५४९४२६१९७७७४७६५,७२५७३४५,७९८६८१६ ए सित्तेर - कडा उपर १८० बिंदु-- शून्य मूकवाथी २५० अंक प्रमाण म तान्तरे शीर्षपहेलिकानी संख्या थाय छे। अने उपर दर्शाव्या मुजब गणतां १९४ आंकडानी संख्या थाय
२ बादर उद्वार - सूक्ष्म उद्धार-वादर अद्धा सूक्ष्म अद्धा- बादर क्षेत्र सूक्ष्मक्षेत्र ए रीते पल्योपनना ६ प्रकार अत्रे उपयोगी नहि होवाथी अहिं मात्र लू० अद्धा पल्योपमनुं प्रमाण कह्युं छे. ३ कोडने कोडथी गुणतां कोडाकोडी थाय..