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________________ ( ७२ ) सत्यवादी के संसर्ग से असत्यवादी के हृदय का परिवर्तन शीघ्र हो जाता है । सत्यव्रत के पालने वाले मनुष्यों में ऐसी ही शक्ति होती है। उनके एक बार के सम्पर्क से ही पतित से पतित व्यक्ति भी अपना कल्याण-मार्ग देख लेता है । जिसने सत्य-व्रत का एक-देश ग्रहण कर लिया, वह भविष्य में पूर्ण सत्य-व्रती बन जाता है। सत्य बड़ा ही महत्त्वपूर्ण और कल्याणकारक सिद्धान्त है । इसके पालन करने वाले को तो सदैव आनन्द है ही, किन्तु जो व्यक्ति सत्य का पालन करने वाले व्यक्ति के संपर्क में एक बार भी आ जाता है और उसकी एक भी शिक्षा ग्रहण कर लेता है, तो वह भी भविष्य में अपना कल्याणमार्ग पा जाता है ।
SR No.002213
Book TitleGruhastha Dharm Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year1976
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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