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( ३४२) चाहे जावे, लेकिन धर्म को कदापि न जाने देंगे । धर्म-रहित सम्पत्ति, नरक का कारण है । ऐसी सम्पत्ति, दुर्गति में ही ले जाती है । इसलिए धर्मरहित धन को अपने यहां कदापि न रहने दो।
जीवन को संसार में फंसाने के लिए, दारैषणा, पुत्रषणा और धनैषणा जाल रूप. हैं । जो इस जाल से बचा रहता है, उसी का कल्याण होता है ।
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