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इतने मूल्य से अधिक की न रखूगा, न इच्छा ही करूंगा । धान्य से मतलब अन्नादि है; जैसे धान चावल गेहूँ चना तुवर तिल आदि । इन सब के लिए भी मर्यादा करना कि मैं धान्य में से अमक धान्य इतने परिमाण से या इतने मूल्य से अधिक का अपने अधिकार में न रखूगा, न इतने से अधिक की इच्छा ही करूंगा । हिरण्य से मतलब चांदी है। चांदी के विषय में भी यह परिमारण करना कि मैं चांदी अथवा चांदी की वस्तुएं इतने परिमारण से अधिक न रखगा, न अधिक की इच्छा ही करूगा । इसी प्रकार सोने के विषय में भी परिमाण करना कि इस परिमाण से अधिक सोना या सोने से बनी हुई वस्तुएं न रखूगा, न अधिक की इच्छा ही करूगा ।
इन सबकी तरह द्विपद की भी मर्यादा करना । द्विपद में अपनी स्त्री, अपने पुत्र और अन्य सम्बन्धी भी आ जाते हैं तथा दास-दासी नौकर चाकर आदि भी आ जाते हैं । साथ ही मयूर हंस कीर मोर चकोर आदि पक्षी भी आ जाते हैं। मतलब यह कि जिनके दो पांव हैं, उन मनुष्यों अथवा पक्षियों के विषय में भी यह मर्यादा करना कि मैं इतने से अधिक न रखूगा, न अधिक की इच्छा ही करूंगा। इसी प्रकार चतुष्पद के लिए भी परिमारण करना । चतुष्पद से मतलब उन जीवों से है, जिनके चार पांव होते हैं और जो पशु कहलाते हैं । पशुओं के विषय में भी यह मर्यादा करना कि इतने हाथी घोड़े ऊट गाय बैल भैंस खच्चर गधे भेड़ बकरी हरिण सिंह आदि से अधिक न तो रखूगा और न अधिक की इच्छा ही करूंगा ।
इन आठ भेदों में आने से जो पदार्थ शेष रह जाते