________________
( २७६ )
समय किसी को वस्त्र की आवश्यकता हुई और उसके यहां अन्न है, तो वह अन्न देकर वस्त्र ले आता था । किसी के यहां नमक है और उसे घी की आवश्यकता है, तो वह नमक देकर घी ले आता था । इस प्रकार वस्तु से वस्तु का विनिमय होता था । मुद्रा से वस्तु का विनिमय होना तो दूर रहा, किसी समय मुद्रा का प्रचलन ही न था। ऐसे समय में यदि कोई पदार्थों का संग्रह रखता भी तो कहां तक । अन्न, वस्त्र या ऐसे ही दूसरे पदार्थ किसी निर्धारित समय तक ही रह सकते हैं । अधिक समय होने पर बिगड़ जायेंगे । इसलिए लोग ऐसे पदार्थों को अधिक दिनों तक नहीं रख सकते थे । लेकिन जब से मुद्रा का प्रचलन हुआ है, तब से संग्रह की कोई सीमा ही नहीं रही । विनिमय मुद्रा के अधीन रहा और मुद्रा ऐसी धातु से बनी है, जो सैकड़ों हजारों वर्ष तक भी न सड़ती है, न घूलती है । इसलिए लोग मुद्राओं का संग्रह अधिक रखते हैं, जिससे पदार्थों का विनिमय रुक जाता है और लोगों को कष्ट का सामना करना पड़ता है । जब कृषि प्रादि द्वारा उत्पन्न पदार्थों का परस्पर विनिमय होता था, तब. लोग अधिक संग्रह भी नहीं रखते थे और पदार्थ खराब हो जायेंगे, यह समझ कर उदारता से भी काम लेते थे । परन्तु जब से विनिमय स्वर्ण, रजत आदि धातु के अधीन हुआ है, तब से संग्रह की भी सीमा नहीं रही और उदारता का भी आधिक्य नहीं रहा। आज की विनिमय पद्धति के लिए कहा तो यह जाता है कि मुद्रा (सिक्के) से विनिमय में सुविधा हो गई है, परन्तु विचार करने पर मालम होगा कि कृषि और गोपालन द्वारा उत्पन्न पदार्थों का विनिमय खनिज पदार्थों के अधीन हो - जाने से संसार महा दुःखी हो गया है । जब विनिमय