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इस प्रकार सन्तानोत्पत्ति के लिए भी बाल-विवाह घातक ही है । इंगलैंड में मनुष्यों की औसत आयु ५१ और बाल-मरण प्रतिसहस्र ७५ है; लेकिन भारत के मनुष्यों की औसत आयु केवल २३ वर्ष और बाल-मरण प्रतिसहस्र १६४ है । इस महान् अन्तर का कारण यही है कि इंगलैंड में बाल-विवाह की घातक प्रथा नहीं है लेकिन भारत में इस प्रथा ने अधिकांश लोगों के हृदय में अपना घर बना लिया है । पौत्रादि के इच्छुक लोग अपने बालक-बालिका का विवाह करते तो हैं-पोते पोती के सूख की अभिलाषा से लेकिन असमय में उत्पन्न सन्तान मृत्यू के मुख में जाकर ऐसे लोगों को और विलाप करने के लिये छोड़ जाती है, अपने माता-पिता को अशक्त बना जाती है तथा इस प्रकार से उन्हें अपने दुष्कृत्यों का दण्ड दे जाती है। इङ्गलैंड की अपेक्षा भारत के लोगों की औसत आयु कम होने का कारण बाल-विवाह द्वारा होने वाले रोग और असमय के वीर्य-पात से होने वाली कमजोरी है । इसी घातक-प्रथा के कारण अनेक स्त्रियां प्रसवकाल में ही परलोक को प्रस्थान कर जाती हैं, या सदा के लिए रोग-ग्रस्त हो जाती हैं और फिर रोगी सन्तान उत्पन्न करके भावी सन्तति के लिए कांटे बिछा जाती हैं ।
___ बाल-विवाह के विषय में गांधीजी लिखते हैं कि हिन्दुस्तान को छोड़कर और किसी भी देश में बचपन से ही विवाह की बातें बालकों को नहीं सुनाई जातीं। यहां तो माता-पिता की एक ही अभिलाषा रहती है कि लड़के का विवाह कर देना । इससे असमय में ही बुद्धि और शरीर का ह्रास होता है । हम लोगों का जन्म भी प्रायः बचपन