________________
सत्य क्या है ?
तं सच्चं भयवं
-प्रश्नव्याकरण सूत्र 'सत्य भगवान् है' यह कह कर जिस सत्य की प्रशंसा की गई है, उस सत्य की पूर्ण एवं सांगोपाग व्याख्या करना कठिन है और हमारे तथा आपके लिए तो असंभव-सा ही है। सत्य की पूर्ण व्याख्या करने के अधिकारी वे ही पुरुष हैं, जिन्होंने सत्य को पूर्ण रूप से अपना लिया हो । सत्य की पूर्ण व्याख्या शब्दों द्वारा हो नहीं सकती। जिन महापुरुषों ने पूर्ण रूप से सत्य को प्राप्त कर लिया है, उनमें और ईश्वर में कोई भेद नहीं रहता । हम छद्मस्थों में तो अभी इतनी भी शक्ति नहीं कि उन महापुरुषों ने अपने पावन उद्गार रूप शास्त्रों में जो कुछ कहा है, उसे पूर्णतया समझ सकें ।
सत्य की पूर्ण व्याख्या करना यद्यपि हमारे लिए कठिन है, तथापि प्रत्येक मनुष्य प्रयत्न करने पर, सर्वत्र नहीं तो किसी न किसी अंश तक, अपने ध्येय तक पहुंचता ही है। इसी नीति के अनुसार हम अपनी शक्ति भर यह बतलाने का प्रयत्न करेंगे कि सत्य क्या है ? - यों तो साधारणतया मनुष्य मात्र को, सत्य का वास्तविक स्वरूप जानने की इच्छा रहती है, क्योंकि सत्य आत्मा का निज स्वरूप है। परन्तु सत्य को अच्छी तरह वे ही लोग