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जानता कि सभ्य श्रौर बड़े कहलाने वाले लोगों की अपेक्षा किसान अधिक स्वस्थ और सबल होता है । इसका एक कारण सादा और सात्विक भोजन है ।
इस तरह अधिक भोजन करने से स्वास्थ्य सुधरने को जगह बिगड़ता है । विकृत भोजन करने से स्वास्थ्य को हानि पहुंचती है और चरित्र को भी । इसी कारण विकृत ( विगय ) भोजन करने का शास्त्र में निषेध किया गया है ।
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ब्रह्मचर्य का भोजन के साथ घनिष्ट संबंध है । भोगी का भोजन और योगी का भोजन एक-सा नहीं हो सकता । ब्रह्मचर्य की साधना करने वालों को ऐसा और इतना ही भोजन करना चाहिए जिससे शरीर की रक्षा हो सके और जो ब्रह्मचर्य में बाधक न होकर साधक हो । अधिक गरिष्ठ तेज मसालेदार और परिमाण से अधिक भोजन सर्वथा हानिकारक है ।
१३ - - ब्रह्मचर्य के सम्बन्ध में लोगों की भ्रान्त धारणा
विषय - भोग की कामना का नियन्त्ररण नही हो सकता । यह कामना अजेय है, इस प्रकार की दुर्भावना पुरुष - समाज में एक बार पैठ पाई, तो भयंकर अनर्थ होंगे और उन अनर्थों की परम्परा का सामना करना सहज नहीं होगा ।
यद्यपि आजकल भी अनेक लोग हैं, जिनकी यह भ्रान्त धारणा हो गई है कि मनुष्य कामभोग की वासना पर विजय नहीं प्राप्त कर सकता । संभवतः वे लोग मनुष्य को काम - वासना का कीड़ा समझते हैं । पर प्राचीन आर्य - ऋषियों का अनुभव इस धारणा का विरोध करता है । कोई व्यक्ति