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अंग / अंगविट्ठ
अंगबहिरंग
अंतकभूमि
अंतकिरिया
अंतराय
अंतेवासि
अकसाय
अकिरिय (वाय)
अगणिजीव
अगारधम्म
अगारचरित
अचित्त
अचेलय
अजीव
अजोगिकेवलि
अज्जिया
अज्झवसाण
अट्टज्झाण
: जैनशास्त्र |
: स्थविरों द्वारा रचित शास्त्र ।
: जिस भूमि से निर्वाण की प्राप्ति हो ।
जन्म-मरण की परंपरा का अंत । : आत्मशक्ति को प्रतिहत करने वाला कर्म ।
: शिष्य ।
.: क्रोध आदि कषाय-चतुष्टय का
परिशिष्ट- १
पारिभाषिक शब्दकोश
अभाव ।
: आत्मा, कर्म, पुनर्जन्म, मोक्ष आदि
में विश्वास न करने वाले ।
: जिन जीवों का शरीर अग्नि है।
: गृहस्थ धर्म ।
: गृहस्थ का आचार |
: चैतन्य रहित ।
: निर्वस्त्र |
: अचैतन्यवान पदार्थ |
: केवली के योग - मन, वचन व शरीर
की प्रवृत्ति की निरोधात्मक अवस्था । ः साध्वी ।
: चेतना का सूक्ष्म स्तर ।
: प्रिय के संयोग और अप्रिय के
वियोग के लिए एकाग्र होना ।
: तीन दिन का उपवास ।
मुनि धर्म |
अट्ठमभत्त
अणगारधम्म
अणगारचरित्त : साधु का आचार।
अट्ठादंड
: निष्प्रयोजन हिंसा ।
अणवज्ज
अणसण
:
: निष्पाप ।
: अल्पकालिक अथवा यावज्जीवन
*
अणासव अघातिय
अणुभाव
अणुव्वय
अणुज्झियधम्मिय : जो फेंकने योग्य न हो। धम्मया
: परंपरा का निर्वाह ।
अगंतवाय
अण्णउत्थिय
अण्णाउंछ
अतिहिसंविभाग
अत्थिकाय
अधम्मत्थिकाय
भोजन का परिहार |
• गृहस्थ की आचारसंहिता ।
: एक ही वस्तु में सापेक्ष दृष्टि से अनेक विरोधी युगलों का प्रतिपादन |
अणेवंभूय (वेदणा) : कर्म-बंधन के अनुरूप कर्म का
अनियट्टिबायर
: व्युत्क्रम |
: आज्ञा का अतिक्रमण करने वाला । : जिस प्रायश्चित्त में कोई परिवर्तन न किया जा सके।
अपच्छिम
: पुनः पुनः अनुचिंतन से अपने आपको भावित करना ।
: कर्म का फल |
: • गृहस्थ द्वारा स्वीकृत छोटे-छोटे
संकल्प |
वेदन न करना ।
: दूसरे संप्रदाय के साधु ।
: अज्ञात कुलों से भिक्षा लेना ।
:
मुनि को अपनी वस्तु का विभाग
देना ।
: त्रैकालिक
सत्तावाला सावयव
अर्थात् सप्रदेश पदार्थ |
: जीव और पुद्गल की स्थिति में उदासीन भाव से सहायक द्रव्य । अनिवृत्ति—–सदृशपरिणाम-विशुद्धि और बादर कषाययुक्त जीव की अवस्था ।
: अंतिम ।