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समणसुत्तं
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अ. २ : मोक्षमार्ग ५४५: लेस्सासोधी अज्झवसाण
आत्मपरिणामों में विशुद्धि आने से लेश्या की विसोधीए होइ जीवस्स। विशुद्धि होती है और कषायों की मंदता से परिणाम अज्झवसाणविसोधी, मंदकसायस्स णायव्वा॥ विशुद्ध होते हैं।
आत्मविकास सूत्र
आत्म विकास सूत्र
५४६. जेहिं दु लक्खिज्जते,
उदयादिसु संभवेहिं भावेहिं। जीवा ते गुणसण्णा,
णिहिठा सव्वदरिसीहिं॥
मोहनीय आदि कर्मों के उदय आदि (उपशम, क्षय, क्षयोपशम आदि) से होने वाले जिन परिणामों से युक्त जीव पहचाने जाते हैं, उनको सर्वदर्शी जिनेन्द्रदेव ने 'गुण' या 'गुणस्थान' संज्ञा दी है।'
५४७-५४८. मिच्छो सासण मिस्सो,
मिथ्यादृष्टि, सास्वादन सम्यक्दृष्टि मिश्र, अविरत • अविरदसम्मो य देसविरदो य। सम्यग्दृष्टि, देशविरत, प्रमत्तसंयत, अप्रमत्तसंयत, विरदो पमत्त इयरो,
अपूर्वकरण (निवृत्तिबादर), अनिवृत्तिकरण (अनिवृत्तिअपुव्व अणियट्टि सुहुमो य॥ बादर), सूक्ष्म-सम्पराय, उपशांत-मोह, क्षीणमोह, उवसंत खीणमोहो,
सयोगिकेवलीजिन, अयोगिकेवलीजिन-ये क्रमशः चौदह सजोगि-केवलि-जिणो अजोगी य।। जीव-स्थान या गुणस्थान हैं। सिद्ध जीव गुणस्थानातीत चोइस गुणठाणाणि य,
होते हैं। कमेण सिद्धा य णायव्वा।।
५४९. तं मिच्छत्तं जमसदहणं तच्चाण होदि अत्थाणं।
संसइद-मभिग्गहियं, अणभिग्गहियं तु तं तिविहं॥
तत्त्वार्थ के प्रति श्रद्धा का अभाव मिथ्यात्व है यह तीन प्रकार का है-संशयित, अभिगृहीत और अनभिगृहीत।
५५०. सम्मत्त-रयण-पव्वय
सम्यक्त्व-रत्नरूपी पर्वत के शिखर से गिरकर जो सिहरादो मिच्छभाव-समभिमुहो।। जीव मिथ्यात्व भाव के अभिमुख हो गया है, वह ‘णासिय-सम्मत्तो सो,
नाशित (पतित) सम्यक्त्व सास्वादन-सम्यक्त्व नामक सासण-णामो मुणेयव्वो॥ गुणस्थान है।
५५१. दहि-गुडमिव व मिस्सं,
पिहुभावं णेव कारिदुं सक्कं। ___. एवं मिस्सयभावो,
सम्मामिच्छो त्ति णायव्वो॥
दही और गुड़ के मेल के स्वाद की तरह सम्यक्त्व और मिथ्यात्व का मिश्रित भाव या परिणाम-जिसे अलग नहीं किया जा सकता, सम्यक्-मिथ्यात्व या मिश्र गुणस्थान कहलाता है।
५५२. णो इंदिएसु विरदो, णो जीवे थावरे तसे चावि।
जो सहहइ जिणत्तुं, सम्माइट्ठी अविरदो सो॥
जो न तो इन्द्रिय-विषयों से विरत है और न त्रसस्थावर जीवों की हिंसा से विरत है, लेकिन केवल जिनेन्द्र-प्ररूपित तत्त्वार्थ का श्रद्धान करता है, वह व्यक्ति अविरतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवर्ती कहलाता है। २. सास्वादन सम्यक्दृष्टि
१. सम्यक्त्व आदि की अपेक्षा जीवों की अवस्थाएं-श्रेणियां-
भूमिकाएं गुणस्थान कहलाती है।