________________
त्रयोदश अध्याय .
पृ. सं. ६०७
-
EMN4
६१५
६१५
६०९
६१५
१. विभक्तिभाव की कारण मीमांसा २. कर्म : चैतन्यकृत या अचैतन्यकृत ? ६०७ ३. पाप का पौद्गलिकत्व
६०८ ४. जीव और कर्म की अंतः क्रिया ५. कर्म के प्रकार
६०९ ६. कर्म का उपचय स्वाभाविक या प्रायोगिक? ६०९ ७. कर्मों की प्रकृतियां और उनके दृष्टांत ६१० ८. कर्मों के फल विपाक की प्रकिया ९.कर्म की अवस्थाएं
१०. एवंभूत वेदना-अनेवंभूत वेदना ११. वेदना और निर्जरा १२. दुःख का वेदन-अवेदन १३. जीव की स्वतंत्रता और परतंत्रता १४. मृगापुत्र १५. मृगापुत्र का पूर्वभव १६. एक्काई राठौड १७. जीव का भारीपन और हल्कापन १८. लेश्या और उसके परिणाम
६१९
६१० ६१२
૬૨૨ ६२३