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________________ आत्मा का दर्शन अदुक्खणयाए असोयणा अजूरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए अपरियावणयाए वति । एएणं जीवा जागरा समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा नो बहूहिं धम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति । एए णं जीवा जागरा समाणा धम्मजागरियाए अप्पाणं जागरइत्तारो भवंति । एएसि णं जीवाणं जागरियत्तं साहू । ७९. बलियत्तं भंते साहू ? दुब्बलियत्तं साहू ? जयंती ! अत्थेगतियाणं जीवाणं बलियत्तं साहू, अत्थेगतियाणं जीवाणं दुब्बलियत्तं साहू । सेकेणट्ठेणं भंते!..... जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया..... एएसि णं जीवाणं दुब्बलियत्तं साहू । ...... जे इमे जीवा धम्मिया, एसि णं जीवाणं बलियत्तं साहू । ८०. दक्खत्तं भंते साहू? आलसियत्तं साहू ? जयंती ! अत्थेगतियाणं जीवाणं दक्खत्तं साहू । अत्थेगतियाणं जीवाणं आलसियत्तं साहू । सेकेणट्ठेणं भंते!...... ५५४ जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया..... एएसि णं जीवाणं आलसियत्तं साहू !...... जे इमे जीवा धम्मिया.... एएसि णं जीवाणं दक्खत्तं साहू । खण्ड-४ उन्हें रुलायेंगे, न उन पर प्रहार करेंगे और न उन्हें परितापित करेंगे। ये जीव जाग्रत रहेंगे तो स्वयं को, दूसरे को या दोनों को धार्मिक संयोजना से संयोजित करेंगे। इसलिए उनका जागना अच्छा है। भंते! बलवान होना अच्छा है या दुर्बल होना अच्छा है ? जयंती ! कुछ जीवों का बलवान होना अच्छा है। कुछ जीवों का दुर्बल होना अच्छा है। भंते! यह किस अपेक्षा से कहां जा रहा है ? जयंती ! जो जीव अधार्मिक हैं उन जीवों का दुर्बल होना अच्छा है। जो जीव धार्मिक हैं उन जीवों का बलवान होना अच्छा है। भंते! दक्ष होना अच्छा है या आलसी होना ? जयंती ! कुछ जीवों का दक्ष होना अच्छा है, कुछ जीवों का आलसी होना अच्छा है। भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है ? जयंती! जो जीव अधार्मिक हैं उन जीवों का आलसी होना अच्छा है। जो जीव धार्मिक हैं, उन जीवों का दक्ष होना अच्छा है।
SR No.002210
Book TitleAatma ka Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Vishva Bharti
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year2008
Total Pages792
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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