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कालचक्र
१. दो समाओ पण्णत्ताओ, तं जहा
ओसप्पिणी समा चेव। उस्सप्पिणी समा चेव।
समा कालचक्र के दो अंग प्रज्ञप्त हैं१. अवसर्पिणी काल। २. उत्सर्पिणी काल।
अवसर्पिणी के प्रकार २. ओसप्पिणी काले णं भंते! कतिविहे पण्णत्ते?
गोयमा! छब्बिहे पण्णत्ते, तं जहा१. सुसमसुसमाकाले २. सुसमाकाले ३. सुसमदुस्समाकाले ४. दुस्समसुसमाकाले ५. दुस्समाकाले . ६. दुस्समदुस्समाकाले।
भंते! अवसर्पिणी काल के कितने प्रकार हैं? गौतम! उसके छह प्रकार हैं१. सुषम-सुषमा २. सुषमा ३. सुषम-दुःषमा ४. दुःषम-सुषमा ५. दुःषमा ६. दुःषम-दुःषमा
उत्सर्पिणी के प्रकार ३. उस्सप्पिणीकाले णं भंते! कतिविहे पण्णत्ते? भंते! उत्सर्पिणी काल के कितने प्रकार हैंगोयमा! छब्बिहे पण्णत्ते, तं जहा
गौतम! उसके छह प्रकार हैंदुस्समदुस्समाकाले.
१. दुःषम-दुःषमा दुस्समाकाले
२. दुःषमा दुस्समसुसमाकाले
३. दुःषम-सुषमा सुसमदुस्समाकाले
४. सुषम-दुःषमा सुसमाकाले
५. सुषमा सुसमसुसमाकाले।
६. सुषम-सुषमा
अवसर्पिणी का कालमान ४. चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसम- १. सुषम-सुषमा का कालमान–४ कोड़ाकोड़ी सुसमा।
सागरोपम। तिणि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमा। २. सुषमा का कालमान-३ कोड़ाकोड़ी सागरोपम। दो सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमदूसमा। ३.. सुषम-दुःषमा का कालमान-२ कोड़ाकोड़ी
सागरोपम।