________________
आत्मा का दर्शन
खण्ड-१
५. दुपदेसादी खंधा, सुहमा वा बादरा ससंठाणा।
पुढविजलतेउवाऊ सगपरिणामेहिं जायते॥
द्विप्रदेशी, त्रिप्रदेशी आदि सभी सूक्ष्म और बादर स्कंध अपने परिणमन के द्वारा पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु के रूप में विविध आकारवाले बन जाते हैं।
६. ओराल विउव्वाहारतेय-भासाणपाणमणकम्मे। द्रव्य वर्गणा के आठ प्रकार प्रज्ञप्त हैंअह दव्ववग्गणाणं कमो..........॥ १. औदारिकवर्गणा २. वैक्रियवर्गणा
३. आहारकवर्गणा ४. तैजसवर्गणा ५. भाषावर्गणा ६. आनपानवर्गणा
७. मनोवर्गणा ८. कार्मणवर्गणा।
रोह के प्रश्न ७. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महा- श्रमण भगवान महावीर का अंतेवासी/शिष्य रोह नाम
वीरस्स अंतेवासी रोहे णाम अणगारे। समणस्स का अनगार। वह भगवान की उपासना में बैठा था। भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उड्ढंजाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरह।
८. ततेणं से रोहे अणगारे जायसड्ढे जाव
पज्जुवासमाणे एवं वदासी
उसके मन में श्रद्धा-जिज्ञासा हुई और बद्धांजलि हो उसने पूछा- .
९. पुब्बिं भंते! लोए, पच्छा अलोए? पुब्बिं अलोए, पच्छा लोए?
रोहा! लोए य अलोए य पुब्बिं पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा!
१०.पुब्बिं भंते! जीवा, पच्छा अजीवा? पुव् िअजीवा, पच्छा जीवा?
रोहा! जीवा य अजीवा य पुब्बिं पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा!
भंते! पहले लोक और फिर अलोक बना अथवा पहले अलोक और फिर लोक बना?
रोह ! लोक और अलोक पहले भी थे और आगे भी होंगे। ये दोनों शाश्वत भाव हैं। इनमें पहले-पीछे का कोई क्रम नहीं है। .
भंते! पहले जीव हुए और फिर अजीव अथवा पहले अजीव और फिर जीव बने?
रोह! जीव और अजीव पहले भी थे और आगे भी होंगे। ये दोनों शाश्वत भाव हैं। इनमें पहले-पीछे का कोई क्रम नहीं है।
११.पुव्विं भंते! भवसिद्धिया, पच्छा अभवसिद्धिया? पुब्बिं अभवसिद्धिया, पच्छा भवसिद्धिया?
भंते! पहले भवसिद्धिक/भव्य और फिर अभवसिद्धिक/अभव्य बने अथवा पहले अभवसिद्धिक और फिर भवसिद्धिक बने?
रोह! भवसिद्धिक और अभवसिद्धिक दोनों पहले भी थे और आगे भी होंगे। ये दोनों शाश्वत भाव हैं। इनमें पहले-पीछे का कोई क्रम नहीं है।
रोहा! भवसिद्धिया य अभवसिद्धिया य पुट्विं पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा!