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________________ संबोधि १३५ अ. १ : स्थिरीकरण ४३. उवाच मेघो देवार्य! मुक्त्वा द्वे चक्षुषी समः। मेघ बोला-इन दो चक्षुओं को छोड़कर मैं पूरा शरीर निग्रंथों कायो निर्ग्रन्थसेवायां, अर्पयामि यथोचितम्॥ कि सेवा के लिए समर्पित करता हूं। जैसा उचित समझें, वैसी सेवा मुझसे लें। ४४.कृतपुण्यः कृतज्ञोस्मि, दिशा मे दर्शिता नवा। दृष्टिर्मे सुस्थिरा भूयाद्, प्रशस्तो मे पथो भवेत्॥ वह विनम्र स्वर में बोला-देवार्य! मैं कृतपुण्य हूं, कृतज्ञ हूं। आपने मुझे नई दिशा दिखा दी। मैं चाहता हूं-मेरी दृष्टि सुस्थिर बने और मेरा पथ प्रशस्त रहे। ॥ व्याख्या ॥ जातिस्मृतिज्ञान किसी के लिए वैराग्य का निमित्त वन जाता है और किसी के लिए मोह-संस्कार वर्धन का हेतु भी बन जाता है। उपयुक्त पात्र हो और उपयुक्त संयोग हो तो सहज ही व्यक्ति संवेग को प्राप्त हो जाता है। मेघ को भगवान महावीर का योग मिला और उसकी चेतना ने अध्यात्म की दिशा में अंगड़ाई ले ली। श्रीमद् राजचन्द्र के लिए जातिस्मरण ज्ञान आत्म-विकास का आधार बन गया। उनका चित्त संसार से विमुख हो गया, अज्ञान का आवरण शिथिल हो गया। ऐसा अनेक व्यक्तियों के हुआ है। ऐसे भी अनेक बच्चे देखे गए हैं जिनका ज्ञान मोहवृद्धि के लिए भी बना है। एक परिवार से नहीं दूसरे परिवार के साथ भी ममता बढ़ गई। मेघ को अपने कृत्य पर पछतावा हुआ, मन में ग्लानि पैदा हुई। भविष्य में सावधान होते हुए उसने कहा-प्रभो! अब इस शरीर के प्रति मेरी कोई आसक्ति नहीं रही है। इस शरीर को जितना मैं धर्म में, सेवा में, सत्कर्म में लगा सकं वैसा ही संकल्प करना है। अब इस पर मेरा अधिकार नहीं है. यह आपका है. आप इसे जिस किर नियोजित करेंगे, मैं तत्पर हूं। ___मैं कृतपुण्य हूं, मुझे आपका सुयोग मिला है, जो कृत पुण्य-जिसका कर्म-मन पवित्र होता है वही व्यक्ति कृतज्ञ-उपकार को समझनेवाला हो सकता है। मैं आपके प्रति कृतज्ञ हूं। क्योंकि आपने मुझे दिव्यदृष्टि प्रदान की है, मेरी चेतना को ऊर्ध्वगामी बनाया है। बस, मुझे आप ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें कि मेरी दृष्टि सदा स्थिर रहे और मेरा पथ सदा प्रशस्त रहे। इति आचार्यमहाप्रज्ञविरचिते संबोधिप्रकरणे . मेषकुमारस्थिरीकरणाभिधः प्रथमोऽध्यायः।
SR No.002210
Book TitleAatma ka Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Vishva Bharti
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year2008
Total Pages792
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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