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________________ प्रकाशकीय दर्शन के क्षेत्र में 'अध्यात्म' के रूप में सत्य का जो निरूपण हुआ है, उसमें भगवान महावीर द्वारा प्रदत्त दर्शन अपने आपमें कुछ वैशिष्ट्य लिए हुए हैं। भगवान् महावीर की उपलब्ध वाणी में इसके सूत्र विकीर्ण रूप में देखे जा सकते हैं। एक ऐसी अपेक्षा महसूस हुई कि महावीर के अध्यात्म-दर्शन (अथवा जैन धर्म के अध्यात्म-दर्शन) के विषय में कोई समग्र किन्तु सारभूत अध्ययन करना चाहे, तो उसे कौन-सा ग्रंथ पढ़ना चाहिए? वैसे अब तक ऐसे अनेक ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं। जिनमें उक्त अपेक्षा की पूर्ति का प्रयत्न हुआ है। फिर भी जैसे ईसाइयों का 'बाईबल' या वैदिकों का 'गीता' या मुस्लिमों का 'कुरान' अपने-अपने धर्मों के नवनीत-रूप एक-एक ग्रंथ हैं वैसे ही भगवान् महावीर (या जैनों) का एक ऐसा ग्रंथ उपलब्ध हो जो युगीन मांग की मूर्ति कर सके। इस आधार पर जैन विश्व भारती ने निम्नांकित ग्रंथों* के समाकलन के आधार पर यह 'आत्मा का दर्शन' (जैनधर्म : तत्त्व और आचार) नामक एक ग्रंथ प्रकाशित करने का निर्णय किया और आज इसे पाठकों के हाथों में अर्पित करते हुए हम सात्त्विक मनःप्रसत्ति की अनुभूति कर रहे हैं। इसके भी दो संस्करण प्रकाशित दो रहे हैं १. मूल गाथा/श्लोक जो प्राकृत या संस्कृत में हैं, उनके साथ अनुवाद (हिन्दी) दिया गया है। २. केवल हिन्दी अनुवाद ही दिया गया है। दिनांक ३-३-२००५ जैन विश्व भारती (लाडनूं) *१. गाथा २. समण-सुत्तं ३. संबोधि
SR No.002210
Book TitleAatma ka Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Vishva Bharti
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year2008
Total Pages792
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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