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निरयावलिका]
(३४६)
[वर्ग-पंचम
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पदार्थान्वय'-तत्थ गं बारवईए नयरीए-उस द्वारका नगरी में, बलदेवे नामं राया होत्थाबलदेव नाम का राजा था, महया जाव रज्जं पसासेमाणे विहरइ-बलदेब महाबली थे, और राज्य पर शासन करते हए विचर रहे थे. तासगं वलदेवस्स रणो-उस राजा बलदेव की. रेवई नामं देवी होत्था-महारानी का नाम रेवती देवी था, सोमाला जाव विहरइ-वह अत्यन्त सुकुमार एवं सुन्दर, थी, अतः अपने राज्य में सुख-पूर्वक रह रही थी, तएणं सा रेवई देवी अण्णया कयाइं-तदनन्तर वह रेवती देवी एक बार, तसि तारिसगंसि सयणिज्जसि-रानियों के शयन करने के योग्य शय्या पर सोते हुए, जाव सीह सुमिणे पासित्ता गं-स्वप्न मैं सिंह को देखकर, पडिबुद्धा-वह जाग गई, एवं सुमिण सण-परिकहण-उसने उस स्वप्न का हाल बलदेव जो से कहा, निसढे नाम कुमारे-(समय आने पर) उसने एक बालक को जन्म दिया जिसका नाम निषध कुमार रक्खा, जाव कलाओ जहा महाबले-वह कुमार महाबल के समान वहत्तर कलाओं में प्रवीण हो गया था, पंनासओ दामओ-उसको पचास दहेज पिले, (क्योंकि), पण्णासराय-कण्णगाणं एक दिवसेणं पाणि गिण्हावेइ-उसने पचास राज्य कन्याओं का एक ही दिन में पाणिग्रहण किया था अर्थात् विवाह किया था, नवरं निसढे नामं जाव उत्पिपासाए विहरइ-वह निषध कुमार और उसकी रानियां ऊपर के राज-महल में सुखपूर्वक जीवन-यापन कर रहे थे॥४॥
मूलार्थ- उस द्वारका नगरी में बलदेव नाम का राजां था, बलदेव महाबली थे, और राज्य पर शासन करते हुए विचर रहे थे। उस राजा बलदेव की महारानी का नाम रेवती देवी था। वह अत्यन्त सुकुमार एवं सुन्दर थी, अतः अपने राज्य में सुखपूर्वक रह रही थी; तदनन्तर वह रेवती देवी एक बार राज-रानियों के शयन करने के योग्य शय्या पर सोते हुए स्वप्न में सिंह को देख कर जाग गई। उसने उस स्वप्न का हाल बलदेव जी से कहा-(समय आने पर) उसने एक बालक को जन्म दिया, जिसका नाम निषध कुमार रक्खा। वह बालक महाबल के समान बहत्तर कलाओं में प्रवीण हो गया था, उसको पचास दहेज मिले (क्योंकि) उसने पचास राज कन्याओं का एक ही दिन में पाणि-ग्रहण किया था, अर्थात् विवाह किया था; वह निषध कुमार और उसकी रानियां ऊपर के राज-महल में सुख-पूर्वक जीवन-यापन कर रहे थे ॥४॥
___टोका-सभी भाव अपने आप में स्पष्ट हैं। बहु-विवाह प्रथा तत्कालीन राजामों में प्रचलित थी।४।