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- आप बन्धुद्वय अनेक जैन आचार्यों, साधु-सन्तों, गुरु-गुरुणियों के सम्पर्क में रहते हैं, सभी का आपको साधुवाद व आशीर्वाद प्राप्त है । आप दोनों अनेक जैन समितियों एवं संस्थाओं से सम्बद्ध हैं । कुछ एक समितियों के तो आप दोनों ही संचालक हैं। ऐसे धर्मनिष्ठ जैन इतिहासज्ञ विद्वानों के द्वारा निरयावलको सूत्र की प्रकाशन किया जा रहा है। मैं आप दोनों का हृदय से धन्यवाद करता हूं और चिरायु होने को मंगल कामना करता हूँ। साथ ही यह भी अपेक्षा करता हूँ कि आप दोनों बन्धुओं के द्वारा उत्तमोत्तम उपादेय सत्साहित्य का निरन्तरं प्रकाशन होता रहेगा जिससे जैन धर्म दर्शन एवं संस्कृति को विश्व व्यापी प्रचार-प्रसार हो सकेग
मैं आप सभी का पुनः एक बार आभार व्यक्त करता हुआ विराम लेता हूँ । ओ३म् शान्तिः
शुभचिन्तक
डा धर्मचन्द्र जैन, (प्रोफेसर )
संस्कृत एवं प्राच्यविद्या संस्थान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र - १३२ ११६ (हरियाणा)
[ उन्नतीस ]
st - 115 विश्वविद्यालय परिसर कुरुक्षेत्र