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________________ वर्ग-चलर्थ ] ( ३२७ ) [निरयावलिका एक शिविका तैयार करो, उवट्ठवित्ता जाव पच्च पिणह और तैयार करके मेरे पास ले आयो, तएणं ते जाव पच्चप्पिणंति-तदनन्तर दासों ने शिविका तैयार करके सुदर्शन गाथा-पति को लाकर अपित कर दी ।। ४॥ ___मूलार्थ-तदनन्तर वह भूता नामक कन्या अपने उसी धर्म-यात्राओं के लिये निश्चित श्रेष्ठ रथ पर चढ़ी और चढ़कर जहां राजगृह नगर था वहीं पर आ गई राजगृह नगर के मध्य मार्ग से जहां पर उसका अपना घर था, वह अपने उसो घर में आ पहुंची, रथ से उतर कर जहां पर उसके माता-पिता थे वह वहां पर आ गई वह हाथ जोड़ कर जैसे जमाली ने अपने माता-पिता से पूछा था वैसे ही वह अपने माता-पिता से पूछती है (आज्ञा देने की प्रार्थना करती है। . (तब उसके माता-पिता ने कहा-) देवानुप्रिये ! जैसे तुम्हारी आत्मा को सुख हो वैसा करो। तदनन्तर वह सुदर्शन गाथापति बड़ी मात्रा में खाद्य, पेय आदि पदार्थ बनधाता है। मित्रों एवं अपने जातीय बन्धुओं को बुलवाता है और सबको भोजन से सन्तुष्ट करता है सबको भोजन कराने के बाद पवित्र होकर पुत्री को साध्वी-जीवन अपनाने की आज्ञा देकर वह अपने समस्त आज्ञाकारी पारिवारिक दासों को बुलवाता है और बुलवाकर इस प्रकार कहता है- आप लोग शोघ्र ही मेरी पुत्री भूता के लिये एक हजार पुरुषों द्वारा उठाई जाने वाली एक शिविका तैयार करो और तैयार करके मेरे पास ले आओ, तदनन्तर दासों ने शिविका तैयार करके सुदर्शन गाथापति को लाकर अर्पित कर दी ॥४॥ टोका-सभी प्रकरण अत्यन्त स्पष्ट है ।।४।। मूल--तएणं से सुदंसंणे गाहावई भूयं दारियं व्हायं जाव विभूसियसरीरं पुरिससहस्सवाहिणि सीयं दुरुहइ, दुरूहित्ता मित्तनाइ० जाव रवेणं रायगिहं नयर मज्झं मज्झेण जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव उवागए, छत्ताईए तित्थयराइसए पासइ, पासित्ता सीयं ठावेइ, ठावित्ता भूयं
SR No.002208
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Swarnakantaji Maharaj
Publisher25th Mahavir Nirvan Shatabdi Sanyojika Samiti Punjab
Publication Year
Total Pages472
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size10 MB
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