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निरयावलिका ]
( ३१२ )
[ वर्ग-तृतीय
समए - उस काल में उस समय में, राय गिहे नयरे - राजगृह नाम का नगर था, गुणसिलए चेइए - जिसमें गुणशील नाम का एक चैत्य (उद्यान) था, सेजिए राया - वहां का राजा श्रेणिक था, सामी समोसरिए - भगवान महावीर वहां पधारे ।
तेणं कालेणं तेणं समएणं - उस काल एवं उस समय, माणिभद्दे देवे – मणिभद्र नामक एक देव था, सभाए सुहम्माए - सौधर्म कल्प की सुधर्मा सभा में माणिभद्देसि सीहासणंसि - माणिभद्र नामक सिंहासन पर चउहि सामणिय साहस्सोहि -चार हजार सामानिक देवों के साथ बैठे हुए थे, जहा पुण्णभद्दो- वह माणिभद्र देव पूर्ण भद्रदेव के तहेव आगमणं - समान भगवान महावीर के पास आए, नट्टविहि— (और) नाट्यविधि दिखाकर चले गए ।
पुष्व भव पुच्छा - श्री गौतम स्वामी जी ने भगवान् महावीर से पुग्वभव पुच्छा - माणि भद्र देव के पूर्व भव के विषय में पूछा, मणिवया नयरी - (भगवान् ने उत्तर दिया- गौतम बहुत समय पूर्व) एक मणिपदिका नाम की नगरी थी, माणिभद्दे गाहावई - ( वहां पर ) माणिभद्र नाम का एक गाथापति रहता था, थेराणं अंतिए पवज्जा - उसने स्थविर सन्तों के पास पहुंच कर प्रवज्या ग्रहण कर ली, एक्कारस अंगाई अहिज्जइ - उसने ग्यारह अंगों का अध्ययन किया, बहूहं वासाइं परियाओ- बहुत वर्षों तक माणिभद्र मुनि ने श्रमण-पर्याय का पालन किया, मासिया संलेहणा - ( और अन्त में) एक मास की संलेखना द्वारा, सद्व भत्ताई साठ भक्तों (साठ समय के भोजन) का उपवास द्वारा छेदन करके और पाप स्थानों की आलोचना प्रतिक्रमण करके के माणिभद्र नामक विमान को उपपात उबवाओ - जन्म लिया, दोसागरोवमा ठिई-वहां पर उसकी महाविदेहेवासे सिज्झिहिई - वह महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध
( मृत्यु को प्राप्त कर), माणिभद्दे विमाणे - सौधर्म कल्प
सभा में देव शयनीय शय्या पर दो सागरोपम की स्थिति होगी, हो सब दुःखों का अन्त करेगा ।
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एवं खलु जम्बू | - हे जम्बू इस प्रकार, निक्खेवओ - भगवान महावीर ने पुष्पिता के छटे अध्ययन के भावों का प्रतिपादन किया है ॥ १ ॥
मूलार्थ - (श्री गौतम स्वामी जी ने प्रश्न किया - ) भगवन् ! यदि अब मोक्षधाम में पहुंचे हुए भगवान् महावीर ने पुष्पिता के पंचम अध्ययन का पूर्वोक्त भाव बतलाया है तो फिर छठे अध्ययन में किस भाव एवं किस महान् व्यक्तित्व के सम्बन्ध में वर्णन किया है ?
( सुधर्मा स्वामी कहते हैं - हे जम्बू ! तव भगवान काल उस समय में राजगृह नाम का एक नगर था
महावीर ने कहा था उस जिसमें गुणशील नामक एक