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निरयावलिका]
[वर्ग-प्रथम
सतः खलु सा चेल्लना देवी सम्पूर्णदोहदा एवं संमानितदोहदा विच्छिन्नदोहदा तं गर्भ-सुखंसुखेन परिवहति ॥ ३८॥
पदार्थान्वयः-तएणं-तत्पश्चात्, से-वह, अभय कुमारे- अभय कुमार, तं--उस, अल्लं मंस-आर्द्र मांस, रुहिरं-रुधिर युक्त को, कप्पणीकप्पियं करेइ-छुरी से काटता है अर्थात् मांस के खण्ड-खण्ड कर देता है, करेइत्ता-टुकड़े-टुकड़े करके, जेणेव सेणिए राया-जहां पर राजा श्रेणिक था, तेणेव-वहां पर, उवागच्छइ-आता है, उवागच्छित्ता-पाकरके, सेणियं रायंराजा श्रेणिक को, रहसिगयं-गुप्त विचार कर, सयणिज्जसि-शय्या पर, उताणयं-सीधा, निवज्जावेइ-सुलाता है, निवज्जावित्ता-सुला कर, सेणियस्स-श्रेणिक राजा के, उदरवलीसुउदर पर, तं-उस, अल्लं मंसं रुहिरं-रुधिर युक्त आर्द्र मांस को, विरवेइ-बांधता है, विरवित्ताबांधकर, वस्थिपुडएणं-बस्ति पुटक के द्वारा, वेढेइ-पेट को ढकता है, वेढइत्ता-ढक कर, सवंतीकरणेणं-रुधिर टपकने जैसा (दृश्य), करेइ-करता है, करिता-करके, चेल्लणं देवि-चेलना देवी को, उत्पिपासाए-प्रासाद के उपर, अवलोयणवरगयं-अवलोकन करने योग्य स्थान पर अर्थात् महल के झरोखे में, ठवावेई–बिठलाता है ठवावित्ता-बैठाकर. चेल्लणं देवि-चेलना देवी के, अहेनीचे, सपखं-दाहिने बायें और, सपडिदिसि-सम्मुख दिशा पर, सेणियं रायं- श्रेणिक राजा को, सयणिज्जंसि-शय्या पर, उताणगं-सीधा, निवज्जावेइ-सुला कर अर्थात् लिटा कर, सेणियस्स रनो-श्रेणिक राजा के, उदरवलि मंसाह-कलेजे के मांस को, कप्पणीकप्पियाई करेइ-छुरी से काट-काट कर ग्रहण करता है, करित्ता-काट-काटकर, सेयं-उन सांस खण्डों को (वह अभय कुमार), भायणंसि-भाजन में, पक्खिवइ-प्रक्षेप करता है-डालता है। . तएणं-तत्पश्चात, से-वह, सेणिए राया-श्रेणिक राजा, अलियमुच्छियं करेइ, करित्ताझूठी मूर्छा करता है और करके, मुहत्तंतरेणं-मुहूर्त के अन्तर से, अन्नमन्नेणं सद्धि-अभय कुमार के साथ परस्पर, संलवमाणे-वार्तालाप करता हुआ, चिट्ठइ-ठहरता है।
तएणं-तत्पश्चात्, से–वह, अभयकुमारे- अभय कुमार, सेणियस्स रन्नो-श्रेणिक राजा का, उदरवलिमसाई-उदर वली के मांस-खण्डों को, गिण्हेइ-ग्रहण करता है, गिण्हित्ता-- ग्रहण करके, जेणेव-जहां, चेल्लणा देवी-चेलना देवी थी, तेणेव-वहां, उवागच्छइ-आता है, उवागच्छिता-और आकर, चेल्लणाए देवीए उवणेइ-चेलना देवी को दे देता है।
तएणं-तत्पश्चात्, सा-उस, चेल्लणा देवी-चेलना देवी ने, सेणियस्स रन्नो-श्रेणिक राजा के, तेहि उदरवलि-मंसेहि सोल्लेहि-उन कलेजे के मांस - खण्डों को सलाइयों पर भूनकर, जाव दोहलं विण इ-यावत् अपने दोहद को पूरा किया।
तएणं-तत्पश्चात्, सा-वह, चेल्लणा देवी-चेलना देवी, संपुण्णदोहला-सम्पूर्ण दोहद वाली एवं इसी प्रकार, संमाणिय - दोहला-सम्मानित दोहद वाली, विच्छिन्न दोहला