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________________ ४७८ श्री आचाराङ्ग सूत्रम्, द्वितीय श्रुतस्कन्ध उसका सर्वथा त्याग करता है और उसके साथ उसके कारणों का भी त्याग करता है। इसमें बताया गया है कि व्यक्ति क्रोध, मान, माया और लोभ के वश होकर झूठ बोलता है। अतः साधक को इन कषायों का त्याग कर देना चाहिए। और यदि कर्मोदय से कभी कषाय का उदय हो रहा हो तो मौन ग्रहण करके पहले कषाय को उपशान्त करना चाहिए. उसके बाद भाषा का प्रयोग करना चाहिए। इससे स्पष्ट होता है कि जो साधक असत्य भाषा का सर्वथा त्याग नहीं करता, वह निर्ग्रन्थ नहीं कहला सकता। वस्तुतः असत्य से पूर्णतः निवृत्त साधक ही निर्ग्रन्थ कहला सकता है। उक्त महाव्रत की भावनाओं का उल्लेख करते हुए सूत्रकार कहते हैं मूलम्- तस्सिमाओपंच भावणाओ भवंति । तत्थिमा पढमा भावणाअणुवीइभासी से निग्गंथे, नो अणणुवीइभासी, केवली बूया-अणणुवीइभासी से निग्गंथे समावइज मोसं वयणाए, अणुवीइभासी से निग्गंथे नो अणणुवीइभासित्ति पढमा भावणा॥१॥ अहावरा दुच्चा भावणा-कोहं परियाणइ से निग्गंथे, न य कोहणे सिया, केवली बूया-कोहपत्ते कोहत्तं समावइजा मोसं वयणाए, कोहं परियाणइ से निग्गंथे, न य कोहणे सियत्ति दुच्चा भावणा॥२॥ . . अहावरा तच्चा भावणा-लोभं परियाणइ से निग्गंथे, नो अलोभणए सिया, केवली बूया-लोभपत्ते लोभी समावइज्जा मोसं वयणाए, लोभं परियाणइ से निग्गंथे, नो य लोभणए सियत्ति तच्चा भावणा॥३॥ अहावरा चउत्था भावणा-भयं परिजाणइ से निग्गंथे, नो भयभीरुए सिया, केवली बूया०-भयपत्ते भीरू समावइज्जा मोसं वयणाए, भयं परिजाणइ से निग्गंथे, नो भयभीरुए सिया, चउत्था भावणा॥४॥ अहावरा पंचमा भावणा-हासं परियाणइ से निग्गंथे, नो य हासणए सिया, केव हासपत्ते हासी समावइज्जा मोसं वयणाए, हासं परिजाणइ से निग्गंथे, नो हासणए सियत्ति पंचमी भावणा॥५॥ छाया- तस्येमाः पंच भावना भवन्ति तत्र इयं प्रथमा भावना-अनुविचिंत्यभाषी स निर्ग्रन्थः नो अननुविचिन्त्य भाषी, केवली ब्रूयात् आदानमेतत् अननुविचिंत्यभाषी स निर्ग्रन्थः समापद्येत मृषावचनं, . अनुविचिन्त्यभाषी स निर्ग्रन्थः नो अननुविचिन्त्यभाषीति प्रथमा भावना। अथापरा द्वितीया भावना-क्रोधं परिजानाति स निर्ग्रन्थः, न च क्रोधनः स्यात् ,
SR No.002207
Book TitleAcharang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size13 MB
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