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श्री आचाराङ्ग सूत्रम्, द्वितीय श्रुतस्कन्ध भि० यथा वैककः त• अट्टानि वा अट्टालकानि वा चरिकानि वा द्वाराणि वा गोपुराणि वा अन्य तथा० शब्दान् नाभिः॥ स भि. यथा वा एककः त. त्रिकानि वा चतुष्कानि वा चच्चराणि वा चतुर्मुखानि वा अन्य तथा० शब्दान् नाभि०॥ स भि० यथा वैककः त. महिषकरणस्थानानि वा वृषभक अश्व क हस्ति क० यावत् कपिंजलकरणस्थानानि वा अन्य तथा० शब्दान् कर्ण नाभि० गमनाय॥स भि० यथा वैककः त. महिषयुद्धानि वा यावत् कपिंजलयुद्धानि वा अन्य तथा नाभिः। स भि० यथा वैककः तद्यथा यूथस्थानानि वा हययू० गजयू० अन्य तथा० नाभिः।
पदार्थ-से भि०-वह साधु अथवा साध्वी।अहावेग०-यथा कई एक। सद्दाइं-शब्दों को। सुणेइसुनता है। तंजहा-जैसे कि।वप्पाणि वा-खेत के क्यारों के विषय में कोई गाता हो अथवा वहां कोई वाद्य बजाता हो। फलिहाणि वा-खाई में होने वाले शब्द। जाव-यावत्। सराणि वा-सरोवर के शब्द। सागराणि वा-समुद्र के शब्द। सरसरपंतियाणि वा-सरोवर की पंक्तियों के शब्द।अन्न-अन्य कोई। तह-इसी प्रकार के विरूवनानाविध। सद्दाइं-शब्दों को। कण्ण-श्रवण करने के लिए। नो अभिसंधारिज गमणाए-जाने का मन मे संकल्प न करे।
से भि०-वह साधू या साध्वी। अहावे-कई तरह के। सद्दाणि-शब्दों को। सुणेइ-सुनता है। तं:जैसे कि।कच्छाणि वा-नदी के पानी से आवृत्त वन के।णूमाणिवा-वृक्षों के या।गहणाणि वा-वनस्पति के समूह। वणाणि वा-वन के या। वणदुग्गाणि वा-विषम वन के शब्दों को। पव्वयाणि वा-या पर्वत एवं। पव्वयदुग्गाणि वा-विषम पर्वत पर होने वाले शब्दों या। अन्न-अन्य। तह-इसी तरह के। विरूव-नाना प्रकार के। सद्दाइं-शब्दों को। कण्णा-कान से सुनने की प्रतिज्ञा से। नो अभिसंधारिज-गमणाए-उस ओर जाने का मन में विचार न करे।
से भि०-वह साधु या साध्वी। अहावे-कभी कई प्रकार के। सदाणि-शब्दों को सुणेइ-सुनता है। तं-जैसे कि।गामाणि वा-ग्राम के शब्द अथवा। नगराणि वा-नगर के शब्द। निगमाणि वा-निगम (जहां पर बहुत वणिक निवास करते हों) के शब्द। रायहाणीणि वा-राजधानी के शब्द। आसमपट्टणसंनिवेसाणि वा-आश्रम-तापस आदि के स्थान के शब्द, पत्तन के शब्द, सन्निवेश-सराय आदि के शब्द अर्थात् इन स्थानों में कोई गीत गाता हो या कोई वाद्यंतर बजाता हो या। अन्न-अन्य कोई। तह-इसी प्रकार के विरूव-नाना विध। सद्दाइं-शब्दों को। कण्ण-सुनने के लिए।नो अभिसंधारिज गमणाए-जाने का मन में विचार न करे।
से भि०-वह साधु या साध्वी। अहावे-कभी कई तरह के शब्दों को सुनता है, जैसे कि।आरामाणि वा-आराम में होने वाले शब्द तथा। उजाणाणि वा-उद्यान में होने वाले शब्द और। वणाणि वा-वन में होने वाले शब्द।वणसंडाणि वा-वनषंड में होने वाले शब्द। देवकुलाणि वा-देव कुल में होने वाले शब्द। सभाणि वा-सभा में होने वाले शब्द। पवाणि वा-प्रपा-जलदान के स्थान में होने वाले शब्द। अन्नय तह -अन्य इसी तरह के विरूव-नाना प्रकार के शब्दों को सुनने के लिए। नो अभिसंधा-जाने का विचार न करे।
से भि०-वह साधु या साध्वी। अहावे-कभी कई। सद्दाणि-शब्दों को। सुणेइ-सुनता है। तंजहा