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________________ सप्तम अध्ययन-अवग्रह प्रतिमा द्वितीय उद्देशक प्रस्तुत अध्ययन अवग्रह से सम्बद्ध है। प्रथम उद्देशक में अवग्रह के सम्बन्ध में कुछ विचार किया गया था। उसी विचार धारा को आगे बढ़ाते हुए सूत्रकार कहते हैं ___ मूलम्- से आगंतारेसु वा ४ अणुवीइ उग्गहं जाइजा, जे तत्थ ईसरे ते उग्गहं अणुनविजा कामं खलु आउसो ! अहालंदं अहापरिन्नायं वसामो जाव आउसो ! जाव आउसंतस्स उग्गहे जाव साहम्मिआए ताव उग्गहं उगिहिस्सामो, तेण परं वि०, से किं पुण तत्थ उग्गहंसि एवोग्गहियंसि जे तत्थ समणाण वा माह• छत्तए वा जाव चम्मछेदणए वा तं नो अन्तोहितो बाहिं नीणिज्जा बहियाओ वा नो अंतो पविसिज्जा सुत्तं वा नो पडिबोहिज्जा, नो,तेसिं किंचिवि अप्पत्तियं पडिणीयं करिज्जा॥१५९॥ छाया- स आगन्तागारेषु वा ४ अनुविचिन्त्य अवग्रहं याचेत, यस्तत्र ईश्वरः तान् अवग्रहमनुज्ञापयेत् कामं खलु आयुष्मन् ! यथालन्दं यथापरिज्ञातं वसामः यावत् आयुष्मन् ! यावत् आयुष्मतः अवग्रहः यावत् साधर्मिकाः तावत् अवग्रहमवग्रहीष्यामः तेन परं विहरिष्यामः, स किं पुनः तत्र अवग्रहे एवावग्रहीते ये तत्र श्रमणानां वा ब्राह्मणानां वा छत्रकं वा यावत् चर्मच्छेदनकः वा तद् नो अन्ततः बहिः निर्णयेत् बहिर्षतो वा नो अन्तः प्रवेशयेत्, सुप्तं वा नो प्रतिबोधयेत् नो तेषां किंचिदपि अप्रीतिकं प्रत्यनीकतां कुर्यात्। पदार्थ-से-वह भिक्षु। आगंतारेसु वा ४-धर्मशाला आदि में। अणुवीइ-विचार कर। उग्गहंअवग्रह की। जाइज्जा-याचना करे। जे-जो। तत्थ-वहां पर। ईसरे०-घर का स्वामी तथा अधिष्ठाता हो। तेउनको। उग्गह-अवग्रह। अणुन्नविज्जा-बताए जैसे कि । खलु-निश्चय ही। आउसो-हे आयुष्मन् गृहस्थ ! काम-जितने समय तक आपकी इच्छा हो। अहालंद-उतने समय तक। अहापरिन्नायं-तावत् प्रमाण क्षेत्र में। वसामो-हम निवास करेंगे। जाव-यावत् काल पर्यन्त तुम्हारी आज्ञा होगी। आउसो !-हे आयुष्मन् ! जावयावत् काल पर्यन्त। आउसंतस्स-आयुष्मन् का-आपका। उग्गहे-अवग्रह होगा उतने समय तक ही रहेंगे, तथा। जाव-जितने भी। साहम्मियाए-और साधर्मिक साधु आयेंगे वे भी। ताव-तावन्मात्र। उग्गह-अवग्रह। उगिहिस्सामो-ग्रहण करेंगे अर्थात् आपकी आज्ञानुसार रहेंगे। तेण परं-उसके बाद। विहरिसामो-विहार कर
SR No.002207
Book TitleAcharang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size13 MB
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