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________________ - आदि के चार पूर्वो में चूलिकाओं का उल्लेख किया हुआ है, शेष में नहीं। इस पंचम अध्ययन में उन्हीं का वर्णन है। ये चूलिकाएं 14 पूर्वो से कथंचित् भिन्नाभिन्न हैं। यदि सर्वथा अभिन्न ही होती तो उसे अलग पांचवां अध्ययन नहीं कहा जा सकता। यदि भिन्न मानें तो पूर्वो में उस की गणना नहीं हो सकती। जैसे दशवैकालिकसूत्र की दो चूलिकाएं हैं, वे दोनों न दशवैकालिक से सर्वथा भिन्न हैं और न अभिन्न ही, वैसे ही यहां भी समझना चाहिए। चूलिका में क्रमशः 4, 12, 8, 10 इस प्रकार 34 वस्तुएं हैं। चूलिका को यदि दृष्टिवाद का परिशिष्ट मान लिया जाए तो अधिक उचित प्रतीत होता है। दृष्टिवादांग का उपसंहार मूलम्-दिट्ठिवायस्स णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ, संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ। से णं अंगठ्ठयाए बारसमे अंगे, एगे सुअक्खंधे, चोद्दसपुव्वाइं, संखेन्जा वत्थू, संखेज्जा चूलवत्थू, संखेज्जा पाहुडा, संखेज्जा पाहुड-पाहुडा, संखेज्जाओ पाहुडिआओ, संखेज्जाओ पाहुड-पाहुडिआओ, संखेज्जाई पयसहस्साइं पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कड-निबद्ध-निकाइआ जिण-पन्नत्ता भावा आघविजंति, पण्णविनंति, परूविजंति, दंसिज्जंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति। से एवं आया, एवं नाया, एवं विन्नाया, एवं चरण-करण परूवणा आघविज्जइ, से त्तं दिट्ठिवाए ॥ सूत्र ५६ ॥ छाया-दृष्टिवाद (पात) स्य परीता वाचनाः, संख्येयान्यनुयोगद्वाराणि, संख्येयाः वेढाः, संख्येयाः श्लोकाः, संख्येयाः प्रतिपत्तयः, संख्येयाः नियुक्तयः, संख्येयाः संग्रहण्यः । ' सोअंगार्थतया द्वादशममंगम्, एकः श्रुतस्कन्धः, चतुर्दश पूर्वाणि, संख्येयानि वस्तूनि, संख्येयानि चूलावस्तूनि, संख्येयानि प्राभृतानि, संख्येयानि प्राभृतप्राभृतानि, संख्येयाः प्राभृतिकाः, संख्येयाः प्राभृतप्राभृतिकाः, संख्येयानि पदसहस्राणि पदाग्रेण, संख्येयान्यक्षराणि, अनन्ता गमाः, अनन्ताः पर्यवाः, परीतास्त्रसाः, अनन्ताः स्थावराः, शाश्वत-कृत-निबद्ध-निकाचिता जिनप्रज्ञप्ता भावा आख्यायन्ते, प्रज्ञाप्यन्ते, प्ररूप्यन्ते, दर्श्यन्ते, निदर्श्यन्ते, उपदर्श्यन्ते। *495*
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
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