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. ४. पारिणामिकी बुद्धि का लक्षण मूलम्-१. अणुमाण-हेउ-दिलृत साहिआ, वय-विवाग-परिणामा ।
- हिय-निस्सेयस फलवई, बुद्धी परिणामिया नाम ॥ ७८ ॥ छाया-१. अनुमान-हेतु-दृष्टान्त-साधिका, वयो-विपाकपरिणामा ।
. हित-निःश्रेयसफलवती, बुद्धिः पारिणामिकी नाम ॥७८ ॥ पदार्थ-अणुमाण-अनुमान, हेउ-हेतु, दिद्रुत-दृष्टान्त से, साहिया-कार्य को सिद्ध करने वाली, वय-आयु के, विवाग-विपाक के, परिणामा-परिणाम से, हिय-लोकहित, निस्सेयस-मोक्ष, फलवई-फल देने वाली, परिणामिया-पारिणामिकी, नाम-नामक, बुद्धी-बुद्धि कही गयी है।
भावार्थ-अनुमान, हेतु और दृष्टान्त से कार्य को सिद्ध करने वाली, आयु के परिपक्व होने से पुष्ट, लोकहित करने वाली तथा कल्याण-मोक्षरूप फल वाली बुद्धि पारिणामिकी बुद्धि कही गयी है।
___४. पारिणामिकी बुद्धि के उदाहरण मूलम्-२. अभए सिट्ठि कुमारे, देवी उदियोदए हवइ राया ।
साहू य नंदिसेणे, धणदत्ते सावग अमच्चे ॥ ७९ ॥ ३. खमए अमच्चपुत्ते, चाणक्के चेव थूलभद्दे य । , नासिक्क सुंदरीनंदे, वइरे परिणामिया बुद्धीए ॥ ८० ॥
४. चलणाहण आमंडे, मणी य सप्पे य खग्गि थभिंदे । . परिणामिय-बुद्धीए, एवमाई उदाहरणा ॥ ८१ ॥
से त्तं असुयनिस्सियं । छाया-२. अभयः श्रेष्ठिकुमारौ, देवी उदितोदयो भवति राजा।
साधुश्च नन्दिषेणः, धनदत्तः श्रावकोऽमात्यः ॥ ७९ ॥ ३. क्षपकोऽमात्यपुत्रः, चाणक्यश्चैव स्थूलभद्रश्च ।
नासिक्ये सुन्दरीनन्दः, वज्रः पारिणामिकी-बुद्धया ॥८०॥ ४. चलनाहत आमलके, मणिश्च सर्पश्च खड्गि-स्तूपभेदः ।
पारिणामिक्या बुद्ध्या, एवमादीनि उदाहरणानि ॥८१ ॥ तदेतदश्रुतनिश्रितम्।
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