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________________ • द्रव्यादि-क्रम से अवधिज्ञान का निरूपण > मूलम् - तं समासओ चउव्विहं पण्णत्तं तं जहा - दव्वओ, खित्तओ, कालओ, भावओ। तत्थ दव्वओ णं ओहिनाणी - जहन्नेणं अणंताइं रूविदव्वाइं जाणइ पासइ, उक्कोसेणं सव्वाइं रूविदव्वाइं जाणइ पास । खित्तओ णं ओहिनाणी - जहन्नेणं अंगुलस्स असंखिज्जइभागं जाणइ पासइ, उक्कोसेणं असंखिज्जाई अलोगे लोगप्पमाणमित्ताइं खंडाइं जाणइ पासइ | कालओ णं ओहिनाणी - जहन्नेणं आवलिआए असंखिज्जइभागं जाणइ पासइ, उक्कोसेणं असंखिज्जाओ उस्सप्पिणीओ अवसप्पिणीओ अईयमणागयं च कालं जाणइ पासइ । भावओ णं ओहिनाणी - जहन्नेणं अणंते भावे जाणइ पासइ, उक्कोसेण वि अणते भावे जाणइ पासइ, सव्वभावाणमणंतभागं जाणइ पासइ ॥ सूत्र १६ ॥ छाया- - तत्समासतश्चतुर्विधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा - द्रव्यतः, क्षेत्रतः, कालतो भावतः। तत्र द्रव्यतोऽवधिज्ञानी - जघन्येनानन्तानि रूपिद्रव्याणि जानाति पश्यति, उत्कर्षेण सर्वाणि रूपिद्रव्याणि जानाति पश्यति । क्षेत्रतोऽवधिज्ञानी - जघन्येनाङ्गुलस्याऽसंख्येयभागं जानाति पश्यति, उत्कर्षेणाऽसंख्येयान्यलोके लोकप्रमाणमात्राणि खण्डानि जानाति पश्यति । कालaisafधज्ञानी - जघन्येनाऽऽवलिकाया असंख्येयभागं जानाति पश्यति, उत्कर्षेणा संख्येया उत्सर्पिणीरवसर्पिणीः- अतीतमनागतञ्च कालं जानाति पश्यति । भावतोऽवधिज्ञानी - जघन्येनाऽनन्तान् भावान् जानाति पश्यति, उत्कर्षेणाऽपि - अनन्तान् भावान् जानाति पश्यति, सर्वभावानामनन्तभागं जानाति पश्यति ॥ १६ ॥ पदार्थ-तं - वह, समासओ-संक्षेप से, चउव्विहं-चार प्रकार का, पण्णत्तं - प्रतिपादन किया गया है, तं जहा- जैसे, दव्वओ-द्रव्य से, खित्तओ-क्षेत्र से, कालओ - काल से, भावओ - भाव से, तत्थ - उन चारों में प्रथम, दव्वओ-द्रव्य से, णं-वाक्यालङ्कार में ओहिनाणी-अवधिज्ञानी, जहन्नेणं-जघन्य से, अणंताई - अनन्त, रूविदव्वाइं-रूपी द्रव्यों को, जाणइ - जानता और, पासइ - देखता है, उक्कोसेणं- उत्कृष्ट से, सव्वाई - सब, रूविदव्वाइं-रूपी द्रव्यों को, जाणइ - जानता और, पासइ - देखता है। 217
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
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