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निम्नलिखितानुसार शुद्ध कर लें। १ उत्तराध्ययनसूत्र प्रथम भाग पृष्ठ ५२८ पंक्ति १९-२०
"और गृहस्थों के लिए तो केवल पशुवध जिनमें हों ऐसे यज्ञों का ही निषेध है किंतु अन्न धनादिरूप यज्ञों का उनके लिए निषेध नहीं।
___ उपरिलिखित वक्तव्य मूलपाठ के साथ कोई संबंध नहीं रखता इसलिए अप्रासङ्गिक है। विषय गंभीर होने के कारण इस पर किसी दूसरी जगह प्रकाश डाला जायगा।
अनुवादक २ उत्तराध्ययनसूत्र प्रथम भाग-प्रस्तावना का पृष्ठ १०, पंक्ति १६
'तीस वर्ष' के स्थान में 'तीन वर्षे' पढ़ें
आवश्यक नोट
आजकल महायुद्ध के कारण कागज, स्याही, टाइप, बाईडिंग आदि के मूल्यों में अत्यन्त वृद्धि हो जाने से अब शास्त्र प्रकाशन की लागत बढ़ गई है इसलिए शात्रों के मूल्य में भी वृद्धि करनी पड़ी है तदपि शास्त्रों को लागत मूल्य से बेचने का जो हमारा नियम है उसे पूर्णतया पालन किया जा रहा है। कागज़ का मूल्य एक दम दुगुना हो गया है इसी प्रकार दूसरी चीज़ों का भी।
व्यवस्थापक
जैन शास्त्रमाला कार्यालय