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शब्दार्थ-कोषः ] हिन्दीभाषाटीकासहितम् । worwwwwwwwwwwwwww ६६६, ६७१,६७३, ६७५, ६७६, ६७८ | वाहिओ-छल से
८२८ ६८०,६८१,६८३,६८५,७३४, ७४७ वाहिरिए बाह्य
८५३ ८२१,८४२,८४४,८७२,८७८,८८६ वाहि-व्याधि ६६१, ६०३, १००६, १०८३, १०८४ | वाहिणो व्याधियाँ और १०६३ ११०८, ११०६, १११२, ११२१ वाही-व्याधि
११२२ | वाहेइ-चढ़ जाता है, बैठ जाता है ७१८ वारण-वायु से
६४४ व्व-समुच्चयार्थक है, जैसे, वत्, तरह ६१५ वाघायकरं-व्याघात करने वाला वचन ५८८ | ६३३, ८०२, ८०३, ८५२, ६४४ वाडेहि-बाड़ों से ६६३, ६६४ | | व्वए-व्रत
६०२ वाणारसिं-वाराणसी . ११०० वि-अपि शब्द से क्षेत्रादि तेरे ६२५, ८७२ वाणारसीए-वाराणसी के ११०१ / ८,८६०,६०६, १२६, ९८२ वाणिएम्बणिक , वैश्य १२५, ६२६ | विइगिच्छा-सन्देह . ६६७,६६६, ६७१ वाणिओ-किसी वैश्य ने १२७ ६७३, ६७६,६७८,६८०, ६८१, ६८३ वायं-वाद . वायस्स-वायु से . ८०७ | विइतु-जानकर वायाविद्धोव्वहडो-वायु से प्रेरित किये | विइंया जान लिया
७४४ हुए वनस्पति विशेष की तरह १६० | विउलं-विस्तीर्ण, विपुल
६३४ वारिणा-जल से ११२४ विउला-विपुल
८६१ वारि-पवित्र पानी को
१०४२ विउलुत्तमं विस्तीर्ण और उत्तम ६२३, ६१६ वारिमझे-जल के मध्य में १०५३ | विउलो विपुल वाबरे आहार के लिए जाकर उनका | विऊ-विद्वान् , वेत्ता, पण्डित हैं ६३५, १००३ कार्य करे
११३६ वावि-भी १०८५ विकत्ता-विकर्ता है
८६७ वासम्-निवास-अवस्थान को १०००, ११०१ विकहासु-विकथा में
१०७६ वासं निवास को
१००४ विक्स्नायकित्ती-विख्यात कीर्ति ७५५ वासंते-वर्षा के होते हुए ८० | विगईओ-जो विकृति हैं उनका ७१४ वासाणि-वर्षों तक
८५६ विगप्पणं-विकल्प करना । १०२८ वासिटि-हे वासिष्टि ! ६१४ विगयमोहाणं-मोह रहित के ६३७ वासी-परशु से कोई छेदन करता है ८५७ विगयमोहो-विगतमोह, मोह रहित चासुदेवो वासुदेव ६७२,६७८ होकर इस प्रकार मैं कहता हूँ। वासुदेवं वासुदेव
यह महानिर्मन्थीय बीसवाँ 'वासुदेवस्स-वासुदेव का
६६०
अध्ययन समाप्त हुआ , ६२४ वासेणोल्ला-वर्षा से भीग गई ८० | विग्यो-विन वाहराहि-बोला
७२६ विचितेई-चिंतन करती है
८१
७१७
१२०