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५० ]
मुच्छिया = मूच्छित हैं छूट जाऊँ, त
मुज्झ=मुझे मुझस= मूर्च्छित हो रहा है मुट्टिमाई हिं= मुष्टि आदि से
६२८
८६१
१९३७ मेयन्ने = तत्त्वज्ञ
७३१ | मेरओ=मेरक
८३२ | मेरु=मेरु
६०३
मुट्ठी मुट्ठी मुणिपवराण = प्रधान मुनियों के मध्य में ७१६ मुणी = मुनि, मननशील ५६०, ६४३, ७५६ ७६३, ८४८, १०३५, १०४६ १०५२, १०६२, १०६६, १०८३ १०६७, ११३०
मुणी = मुनियों को मुणीणमज्झे मुनियों के मध्य में मुण्डरुई-मुण्डरुचि
= निर्लोभा
ती = निर्लोभता से
मुसो = निरपेक्ष होता हुआ
मुसलेहि = मूसलों द्वारा, तथा मुसं=झूठ मुसंव= मृषा बोले.
मुसा=मृषा
मुसावाय= मृषावाद का मुहं मुख को मुहाजीवि मुधाजीवी मुढा = मूढ़ हैं
मूल = ओषधि आदि में
मूलं = मूल मूलओ = मूल
मे= मेरे
उत्तराध्ययनसूत्रम्
से
|
[ शब्दार्थ-कोषः
१०४४, २०४६, १०६७, १०७६
१११२, ११३५ ७४०
रखने वाले
५८८ मोणं मुनिवृत्ति को
७२१
६०२ | मोणेण = मौन भाव से
मेहावि = हे मेधाविन् ! मेहावी = हे मेधाविन् ! मेहुणं = मैथुन को मोक्ख= मोक्ष का
मोक्खाभिकंखी=मोक्ष की आकांक्षा
८६६ मोसा=मृषा
६७३ मोहरिए - मुखरता में ६१६ मोह मोह को
८२६
११२१
११०६, १११२, १११३
११२५ ६२८, १११६
८८३
६४६
ළිදී
५६८, ६३३, ६६३, ७२७, ७२६ ७४८, ७६७, ७७६, ७८५, ८६५ ८७,८७७,८७,८८१, ८८२ ८८३, ४, ५, ८,८
, 80, 8, 8€, c&c ६१८, ६२०, ६६७, १०२५, १०४२
८३४, ८३५
६४४
१४
१०१६, १०२६
११२३
१०२६
मोहंगयस्स = मैंने कहीं पर इसको देखा है, इस प्रकार की चिन्ता से निर्मोहता को ७४३ | मोहा=अज्ञानता के वश से ७६४ | मोहाणिला = मोहरूप वायु से
८७७
५८६.
५८७, ६१७, ६२७
६४०, ६०८
७२८
१०८६, २०६२ १०७६ ६४६, ६४४
७७५
६०६
५६१
य= फिर, और, पुनः, पादपूत्ति में है, समुच्चयार्थ है ५८२,५८३, ५८६ ५८७, ५१३, ५६६, ६०३, ६१३ ६१६, ६२२, ६३०, ६३१, ६३४ ६३८, ६४७, ६५१, ६५८, ६८६ ६८७, ६६०, ६६३, ६६४, ६६५ ६६६, ६६७, ७०३, ७०७, ७०६
७१४, ७१५, ७१७, ७२३, ७२६ ७३२, ७३३, ७४३, ७४५, ७४७ ७५५, ७५६, ७६१, ७७८, ७८४ ७६१, ७६६, ८००, ८११, ८१२ ८२०, ८२१, ८२६, ८२७, ८२६