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शब्दार्थ- कोषः ]
उम्मग्गं= उन्मार्ग को उम्मन्तो= उन्मत्त
उम्मायं = उन्माद को
उरगो = साँप उरं = वक्षःस्थल को
६६७, ६७१, ६७३, ६३६, ६७८, ६८०, ६८१, ६८३
[११
६३६
१०४६ | उवेइ = प्राप्त होता ६४७, ६०८, ६१६, ६४५ ७६६ | उवेहमाणो = उपेक्षा करता हुआ उससिय= विकसित हुए हैं। उसुयारनामे - इषुकार नाम वाले में ६३३ | उस्सुयारि = में इषुकार
ऊ
हिन्दीभाषाटीकासहितम् ।
उराला = प्रधान शब्द
उल्लंघण = उलंघन
उल्लंघणे = बालादि के ऊपर से लंघ जाता
उवसन्ते= उपशान्तात्मा उवसोहियं = उपशोभित उवहि = उपधि
= उपधि को उवागए = प्राप्त हुए
CCC
६५७ |ऊसिएण= ऊँचे
१०६३
उल्लिओ=उल्लिखित किया गया, गले में कुलिश के लगने से उलो = आर्द्र-गीला
१०००,
८२६
११३६
| = उपयोगपूर्वक चले, गमन करे १०७७ १०७८
उवउत्तया=उपयुक्तता, उपयोगपना १०७६ उवदंसियं = उपदर्शित किया उवज्झायाणं = उपाध्याय की उवट्ठिए=उपस्थित हुआ उवडिआ = उपस्थित हुए उवट्टिओसि= उपस्थित हुआ है उवणिग्गए = नगर से निकला उववन्नो = उत्पन्न हुआ नरक में उवलभाम् = प्राप्त करता हूँ क्योंकि उवलिप्पइ = उपलिप्त होता उवलेवो = कर्मो का उपलेप
७०६
ए= तेरे
एआओ = ये
८५०, १०८५
१००४, ११०१
उवागम्म= आकर
५८६, ७७८ उवागया = प्राप्त हो गये, मुक्त हो गये ६३७ उवायओ = उपाय से
एए= ये
एएहिं = इन
६१६
१०६७
एइ = प्राप्त करता है।
ह११, ६१२, ६१३,
ए = कहे हुए, उक्त ७२१, ७६२, ७६६, ६६४,
६६५, ६६७, १०८०, ११३२
६६५
७४०
६२२
६२६
११२४
वाले ११३८ एगओ = स्थान में
६५८
७५०
१०८०
एक्का = अकेला
एक्को = एक
८८३
६१८, ११३५ ७०६ एग = अकेला ८४८, १०२६, २०१६, १०६३ ११०३ | एगचरे = रागद्वेष से रहित होकर अकेला ही जो विचरता है, वा गुण युक्त होकर अकेला ही जो विचरता है ६६० ७२२ | एगचित्तो = एक चित्त होकर ८२१ एगच्छत्तं = एक छत्र ७८२
८७१
පුලූ=
७५७
एगविमाणवासी = एक विमान में वसने
एगप्पा = एक आत्मा
एगन्भूओ=अकेला एकअ = एक काय को
६२३
५८०
६३३
एगंते= एकान्त में
एगंत = एकान्त
एगे = कई एक
एगेजिए = एक के जीतने पर
६६०
१०३५ | एगो = एक
५८०
६११
१०३३
८४२
१००८
६८२
८०५
७६७, ८
१०३२ १०५३