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________________ पुण्यस्मति में श्री त्रिलोक चन्द जी जैन (कसूर वाले )। श्रावकरत्न भक्त श्री त्रिलोक चन्दु जी जैन जगत के एक सुप्रतिष्ठित और सुख्यात व्यक्तित्व थे। उपनी कर्मशीलता, धर्मवीरता और दानशूरता के कारण उन्होंने समाज में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया था। देव, गुरु और धर्म के प्रति अनन्य आस्थाशील श्री भक्त जी आचार्य सम्राट् श्री आत्मारामजी महाराज के प्रमुख श्रावक थे। उन्होंने आचार्य श्री की जो सेवा की उससे जनमानस सहज ही परिचित है। उनकी सेवा और भक्तिभाव से प्रसन्न होकर ही आचार्य श्री ने उनको 'भक्तजी' की उपाधि से अलंकृत किया था। सादड़ी सम्मेलन के अवसर पर भक्त जी की सेवाएं आज भी सुश्रुत हैं। आचार्य श्री के सुशिष्य वरिष्ठ उपाध्याय श्री मनोहर मुनि जी की दीक्षा समारोह में भी भक्तजी ने उनके धर्म पिता बनकर अपना पूर्ण सहयोग प्रस्तुत किया था। वर्तमान में श्री भक्त जी के सुपुत्र उदारमना सुश्रावक श्री महेन्द्र कुमार जी जैन ने आचार्य प्रवर श्री शिवमुनि जी के सान्निध्य में दीक्षित श्री निपुण मुनि जी म. के धर्मपिता का दायित्व वहन करते हुए अपने पूज्य पिता जी की स्वर्णिम परम्परा को आगे बढ़ाया है। प्रस्तुत आगम श्री भक्त जी के सुपुत्रों ने उनकी पुण्यस्मृति में प्रकाशित कराया है। भक्तजी के चार सुपुत्र हैं-श्री ऋषभ दास जी, श्री धर्मवीर जी, श्री महेन्द्र कुमार जी एवं श्री सतीश कुमार जी तथा भरा-पूरा पौत्र, प्रपौत्र परिवार है जो सुसंस्कारित और धर्म के रंग में रंगा हुआ है। यह परिवार १९३८ से ही होजरी व्यवसाय से जुड़ा है। इनके उत्पादन मिनी किंग निटवियर (टाप गेयर ) नाम से भारत भर में विश्रुत और प्रचलित हैं। सम्प्राप्त सौजन्य के लिए धन्यवाद! प्रकाशक
SR No.002202
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year2003
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size11 MB
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