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प्ररोचना]
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गया है। आयुर्विज्ञान के अनुसार शरीर शास्त्र का वर्णन भी विषय वस्तु को स्पष्ट करने के लिए समाहित किया गया है। भौतिक शास्त्र सम्बन्धी आधुनिक धारणाओं को स्पष्ट करने में पीयूष जैन, अहमदाबाद से विवेचनात्मक वार्ताएं हुई, उसका परिणाम है कि पाठकगण जैन द्रव्य मीमांसा के अध्याय में अनेक विषयों की भौतिक विज्ञान से की गई तुलना में नया चिंतन पाएंगे। मैं मेरे कर्तव्य निर्वाह में अधूरा रहूंगा, अगर मेरी धर्मपत्नी श्रीमती गुलाब गेलड़ा के प्रति आभार प्रकट न करूं, जो निरंतर मेरे लेखन कार्य में सहयोगी रही है तथा पूर्ण दक्षता से प्रूफ-रीडिंग भी किया है।
अंत में जैन विश्व भारती संस्थान की कुलपति श्रीमती सुधामही रघुनाथन, कुलसचिव जे. आर. भट्टाचार्य तथा महादेवलाल सरावगी अनेकान्त शोधपीठ, जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं जिनके आर्थिक सहयोग से पुस्तक लेखन की योजना और प्रकाशन सम्पन्न हुआ
5 च 20, जवाहर नगर जयपुर (राज.)
प्रोफेसर डॉ. महावीर राज गेलड़ा
पूर्व कुलपति जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं