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________________ 330] [ जैन विद्या और विज्ञान आज हम इस भाषा में कहना चाहते हैं - "एक शासक को वैज्ञानिक होना चाहिए। यदि शासक वैज्ञानिक होगा तो समस्या की जड़ तक पहुंचने का प्रयत्न होगा। इसमें ईगो भी कम होना चाहिए। डॉ. कलाम – (मुस्कुराते हुए यह वाक्य पुनः दोहराया) और यदि होगा तो फ्रंटल लॉब पर मेडिटेशन करा दीजिएगा। (एक नई जिज्ञासा प्रस्तुत करते हुए) क्या इसमें श्वास का भी कोई संबंध है? ___महाप्रज्ञ - श्वास का गहरा संबंध है। इमोशन पर कंट्रोल करने में दीर्घश्वास प्रेक्षा बहुत महत्त्वपूर्ण है। एक व्यक्ति सामान्यतः एक मिनट में पंद्रहसोलह श्वास लेता है। जब आवेग-आवेश प्रबल होता है, क्रोध, भय, वासना आदि का आवेग तीव्र होता है तब यह संख्या तीस-चालीस हो जाती है। तीव्रतम आवेश में उससे भी अधिक हो जाती है। रूपक की भाषामें कहें तो इमोशन राजा है। वह वायुयान के बिना नहीं आएगा। छोटा श्वास उसका वाहन है। श्वास की संख्या कम होगी तो इमोशन शांत रहेंगे। दीर्घश्वास से राइट हेमिस्फियर जागृत होता है। (राष्ट्रपति महोदय को अंग्रेजी में प्रकाशित प्रेक्षाध्यान : श्वास प्रेक्षा तथा प्रेक्षाध्यान के सभी पुष्प उपहृत किए गए। आचार्यवर की अनेक सद्यः प्रकाशित अंग्रेजी पुस्तकें दी गई। राष्ट्रपति ने एक-एक पुस्तक का अवलोकन किया। उनकी दृष्टि 'थोट एट सनराईज' पुस्तक पर अटक गई।) . डॉ. कलाम - इसमें क्या है? महाप्रज्ञ - 'मैंने इसमें प्रतिदिन का एक विचार लिखा है। हिन्दी में इस पुस्तक का नाम है - सुबह का चिन्तन।' डॉ. कलाम – मैं आज का विचार पढ़ता हूं। (यह कहते हुए राष्ट्रपति ने 14 फरवरी का पूरा विचार पढ़ कर सुनाया।) महाप्रज्ञ - आज आपको काफी समय हो गया है। डॉ. कलाम - आप यहां कब तक हैं? महाप्रज्ञ - मार्च, अप्रैल दो महीने यहां रहेंगे। उसके बाद सूरत की ओर जाना है। डॉ. कलाम - आप अपना पूरा प्रोग्राम मुझे दे दीजिए। मैं देखता हूंमैं पुनः कहां आ सकता हूं। (यह कहते हुए राष्ट्रपति का ध्यान अपनी डायरी में अंकित नोट्स पर केन्द्रित हुआ।) आचार्यश्री! क्या यह ईगो एंगर (अहं और क्रोध) कम हो सकता है?
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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