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सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ. ६
मनुष्यगतिने विषे संवेध कहे बे. तिहां मनुष्यने त्रेवीशने बंधे २१-२५-२६-29२८-२०-३०- ए सात उदयस्थानक होय, तेमध्यें पच्चीश ने सत्तावीश, ए बे उदय, वैक्रिय करतां लेवा. पण आहारके त्रेवीशनो बंध नथी तेजणी ते आहारक न लेवो. ए बे उदयें बाणु अने श्रव्याशी, ए वे सत्ता होय अने बीजा पांच उदयें ब्याशी, शी, ए वे अधिक होय तेमाटें तिहां चार सत्तास्थान लेवां. सर्व य त्रेवीशने बंधें चोवीश सत्ता होय, एम पच्चीशने बंधें तथा बवीशने बंधे पण चोवीश चोवीश सत्ता लेवी तथा मनुष्यगति यने तिर्यंचगति प्रायोग्य जंगपत्रीश अने त्रीशने बंधे पण एमज चोवीश सत्ता कदेवी तथा व्हावीशने बंधे पण सात उदय बे. तेमध्यें एकवीरा, बब्वीश, ए वे उदय, सम्यकदृष्टिने करण अपर्याप्ता वेलायें होय. तथा पच्चीश, सत्तावीश श्रावीश ने गणत्रीश, ए मांदेला बे बे उदय, वैक्रिय, आहारक करतां सम्यकदृष्टिने होय. त्रीशनो उदय, मिथ्यात्वीने पण होय. ए उदयें बाणु, अव्याशी, ए बेबे सत्तास्थानक होय. तथा त्रीशने उदयें नरक प्रायोग्य अावीशने बंधें नेव्याशी तथा ब्याशी, ए बे सत्ता अधिक जेलतां चार सत्ता होय. एम हावी - शने बंधें सर्व थइ शोल सत्ता थाय तथा जिननाम सहित देव प्रायोग्य गणत्रीशने बंधें सात उदय अठावीशना बंधनी पेरें लेवां. पण एटलुं विशेष जे त्रीशनो उदय सम्यक्त्वीने लेवो, तेथी साते उदयें त्र्याणु अने नेव्याशी, ए बे सत्तास्थानक होय. तिहां श्राहारकने तो त्र्याणुनीज सत्ता होय. सर्व संख्यायें जिननाम सहित उगणत्रीशने बंधे चौद सत्तास्थानक होय तथा आहारकद्विक सहित त्रीशने बंधे उगणत्रीश ने त्रीश, ए बे उदयस्थानक होय. तिदां जेणे आहारक शरीर प्रमत्त
ठाणे करीने अंतकालें अप्रमत्तें यावे, तेनी अपेक्षायें गणत्रीशनो उदय लेवो. बीजे स्थानकें त्रीशनो उदय होय, तिदां प्रत्येक उदयें बाणुनी सत्ता होय. तथा एकत्रीशने बंधें एकज त्रीशनो उदय होय छाने तिहां एकज त्र्याणुनी सत्ता होय, तथा एकने बंधें त्रीशनो उदय होय. तिहां ए३-०२-०७-००-०० - १०–१६–१५, ए सत्तास्थानक होय, शरवाले त्रेवीश, पच्चीश, बब्वीशना बंधने विषे चोवीश "चोवीश सत्ता ने अगवीशना बंधने विषे शोल सत्ता तथा मनुष्य छाने तिर्यंचगति प्रायोग्य उगणत्रीश तथा त्रीशना बंधने विषे चोवीश चोवीश सत्ता तथा देवगति प्रायोग्य तीर्थंकर सहित गणत्रीशना बंधे चौद सत्ता तथा एकत्रीशना बंधने विषे एक सत्ता
एक प्रकृतिना बंधे आठ सत्ता सत्तास्थानक, एम (१५९) सत्ता मनुष्य मध्यें होय. वे देवताने विषे संवेध कहे बे. देवताने पच्चीशने बंधें व उदयें प्रत्येकें बाणु व्याशी, एबे सत्ता होय. एम बवीश तथा उगणत्रीशने बंधे पण जाणवुं
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