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________________ ६० संग्रहणीसूत्र. थकी एयं के० ए तारा ताराने, नक्षत्र नदात्रने मांहोमांहे वाघाए के पर्वतादिकनी व्याघाते अंतर बे. अने निवाघाए के निर्व्याघाते तो गुरु के० उत्कृष्ट अंतर दोगाउ के बे गाउनु, अने लहु के0 जघन्य अंतर ते धणुसया पंच के० पांचसे धनुष्यनुं . एह सूरपन्नति तथा जीवानिगम प्रमुख ग्रंथोमां कडं बे, पण महोटी संघयणी तथा जंबुद्धीपपन्नतिमां ए व्याघातनिर्व्याघात कर्वा नथी. ॥ ६३ ॥ ॥ हवे मनुष्यदेवनी बाहेर घंटाकारे स्थिर रह्या जे चंग ॥ ॥ अने सूर्य- तेमनुं मांहोमांहे अंतर प्रमाण कहे . ॥ माणुस नगान बाहिं ॥ चंदा सूरस्स सूर चंदस्स ॥ जोयण सहस्स पन्नास ॥णुणगा अंतरं दिलं ॥४॥ अर्थ- जे मनुष्यदेवनी सीम एटले मर्यादाकारक माणुस के मानुषोत्तर नामा नगाउ के पर्वत तेने बाहिं के बाहेरना जे चंदा के चंद्रमा अने सूरस्स के सूर्य बे, ते सूर के सूर्य अने चंदस्स के चंजमाने एटले चंडमाथकी सूर्यने अने सूर्यथकी चंजमाने माहोमांहे जोयणसहस्स पन्नास के पचाश हजार योजन- अणूणगा के अन्यून एटले पूर्ण अंतरं के अंतर ते दिड के श्री तीर्थकर गणधरे दी. ॥ ६४ ॥ __ हवे पूर्वनी गाथामां सूर्यथकी पचाश हजार योजन चंडमा, अने चंप्रमाथकी पचाश हजार योजन सूर्यनुं अंतर कडं. तेवारे एक सूर्यथकी बीजा सूर्यनुं अने एक चंथकी बीजा चंजनुं अंतर केटबुं थाय ? ते एक गाथाए करी कहे जे. ससि ससि रवि रवि साहिय॥जोयण खकेण अंतरं होई॥ रवि अंतरिया ससिणो ॥ ससिअंतरिया रवि दित्ता ॥ ६५ ॥ अर्थ- ससि ससि के चं चं, अने रवि रवि के० सूर्य सूर्यन, साहिय के० साधिक जोयण लरकेण के एक लाख योजन अंतर हो के अंतर होय. केमके रवि अंतरिया ससिणो के सूर्यने अंतरे चंमा , अने ससिअंतरियारवि के० चंधमाने अं. तरे सूर्य जे; ते दित्ता के दीप्तवंत नास्वर एटले तेजवंत जे. एटले एक चंद्रमा अने बीजा चंद्रमाने एक लाख योजन उपर एक जोजनना एकसठीया अमतालीश नागे अधिक, तथा एक सूर्य अने बीजा सूर्यने वच्चे एक लाख योजन उपरे एकसठीया बपन्न नागे अधिक अंतर बे. कारण चंजमा अने चंडमा वच्चे सूर्यनुं विमान अधिक होय. अने सूर्य सूर्य वच्चे चंडमानु विमान अधिक होय, तेथी ते विमान जेटलु महोटुं होय, तेटर्बु अधिक अंतर जाणवू. ॥६५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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