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सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ. ६ पांच अने चार, ए सत्ता होय, तथा त्रणने बंधे, एकने उदयें, अहावीश, चोवीश, एकवीश, चार अनेत्रण, ए पांच सत्ता होय. तथा बेने बंधे, एकने उदयें, अहावीश, चोवीश, एकवीश, त्रण अने बे, ए पांच सत्ता होय. तथा एकने बंधे, एकने उदयें, अहावीश, चोवीश, एकवीश, बे अने एक, ए पांच सत्ता होय. एवं सर्व मली पांच बंधस्थानकें थश्ने शरवाले सत्तावीश सत्तास्थानक होय.
सूदमसंपरायें बंध विना एकने उदयें श्रहावीश, चोवीश, एकवीश अने एक, ए चार सत्तास्थानक होय, तथा उपशांतमोहें बंधोदय विना अहावीश, चोवीश अने एकवीश, ए त्रण सत्तास्थानक होय. एम सर्व गुणगणे सर्व मली ( १३३) मोहनीयनां सत्तास्थानक होय. एनुं स्वरूप सर्व पूर्वे नाव्युं . इति समुच्चयार्थः ॥ ५ ॥ ॥ श्रथ नामकर्मणि बंधस्थानादीन्याह॥हवे चौद गुणगणे नामकर्मना
बंधोदय सत्तास्थानक श्रने नांगा कहे .॥ बन्नव बक्क तिग सत, उगं उगं तिगगं तिअ चन ॥
जग बचन उगपण चड, उगचज चक पणग एगचन ॥ ५ ॥ अर्थ-मिथ्यात्व गुणगणे बन्नवबक के बंधस्थानक, नव उदयस्थानक अने व सत्तास्थानक होय. बीजे गुणगणे तिगसतगं के त्रण बंधस्थानक, सात उदयस्थानक, श्रने बे सत्तास्थानक होय. त्रीजे गुणगणे फुगंतिगपुगं के बे बंधस्थानक, त्रण उदयस्थानक अने बे सत्तास्थानक होय. चोथे गुणगणे तिअड्चन के त्रण बंधस्थानक, आठ उदयस्थानक, अने चार सत्तास्थानक होय. पांचमे गुणगणे मुगलचन के बे बंधस्थानक, उ उदयस्थानक, अने चार सत्तास्थानक होय. बहे गुणगणे मुगपणचन के बे बंधस्थानक, पांच उदयस्थानक अने चार सत्तास्थानक होय. सातमे गुणगणे उगचञ्चऊ के0 बे बंधस्थानक, चार जदयस्थानक श्रने चार सत्तास्थानक होय. श्रापमे गुणगणे पणगएगचज के पांच बंधस्थानक, एक उदयस्थानक श्रने चार सत्तास्थानक होय. इत्यक्षरार्थः ॥ ५ ॥
हवे संवेध कहेले. तिहां मिथ्यात्व गुणगणे २३-२५-२६-२७-ए-३०, एड बंधस्थानक बे. तिहां अपर्याप्ता एकेजिय प्रायोग्य त्रेवीश बांधतां बादर, सूक्ष्म अने प्रत्येक साधारण पदें चार नांगा थाय तथा पर्याप्ता एकेंघिय प्रायोग्य पच्चीश बांधतां वीश नांगा अने अपर्याप्तात्रण विकलें जिय तथा पंचेंजिय तिर्यंच मनुष्य प्रायोग्य पच्चीश बांधतां, एकेको जांगो सर्वसंख्यायें पच्चीशने बंधे पञ्चीश नांगा होय. तथा पर्याता एकें जिय प्रायोग्य बबीश बांधतां शोल नांगा, तथा देवगति प्रायोग्य बहावीश
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