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________________ १२ सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ. ६ राशिमाहे नेलतां ( एए७१७ ) एटला पदवृंद योग साथै गुणतां थाय. यमुक्तं "सत्तर सत्तसया, पण नउई सहस्त पयसंखा” इति वचनात्. हवे उपयोग साथें गुणतां जे उदय नांगा होय, ते कहीयें बैयें. तिहां मिथ्यात्व अने सास्वादन, ए बे गुणगणे प्रत्येकें एक मतिअज्ञान, बीजु श्रुतअज्ञान, त्रीजं विनंगश्रज्ञान, चोथु चकुदर्शन, पांचमुं अचदुदर्शन, ए पांच उपयोग होय; तथा त्रीजे, चोथे अने पांचमे, ए त्रण गुणगणे त्रण ज्ञान अने अवधिदर्शन सहित त्रण दर्शन, एवं उ उपयोग प्रत्येकें होय, तथा बहाथी दशमा गुणवाणा लगें तेहीज ब उपयोग साथें सातमुं मनःपर्यवज्ञान पण होय, माटें सात उपयोग होय. तिहां मिथ्यात्वे आठ अने सास्वादने चार, एवं बार चोवीशी नांगानी बे गुणगणे मलीने जे. तेने पांच उपयोग साथै गुणतां शाम चोवीशी थाय. तथा मिों चार, अविरतियें आठ अने देश विरतियें थान, एवं त्रण गुणगणे वीश चोवीशी नांगानी बे, तेने उ उपयोग साथें गुणतां (१२०) उदय नांगानी चोवीशी थाय. तथा प्रमत्तनी बाग, अप्रमत्तनी आठ, अपूर्वकरणनी चार, एवं त्रण गुणगणानी वीश चोवीशीने सात उपयोग साथें गुणतां (१४०) चोवीशी उदय नांगानी थाय. अहीं सुधी सर्व मली ( ३२०) चोवीशी उदय नांगानी थइ तथा जे श्राचार्य, मिश्रगुणगणे पण पांच उपयोग माने , तेना मतें (३१६) चोवीशी थाय. तिहां पहेला मतें (३०) ने चोवीश गुणा करता (७६७०) नांगा थाय, अने बीजा आचार्यना मतें चार चोवीशी काहामी नाखतां (३१६) ने चोवीश गुणा करतां (७५४) नांगा थाय. तेवार पड़ी छिकोदयना बार नांगा अने एकोदयना पांच, एवं सत्तर नांगाने सात उपयोग साथें गुणतां (११ए) नांगा थाय, ते पूर्वली राशिमाहे नेलतां (ए) उदय नांगा थाय, तथा मिश्रगुणगणे पांच उपयोग माने, तेना मतें ( ०३ ) उदयस्थान नांगा थाय, हवे एनां पदवृंद विचारे . तिहां मिथ्यात्वे सामान्य पद अडश अने साखादने बत्रीश, एवं एकसो थयां, तेने पांच उपयोग साथें गुणतां पांचसे पद थाय. ए चोवीशीना श्रादि पद तेजणी चोवीश गुणा करतां बार हजार पदवृंद थाय. तथा मिों बत्रीश, अविरतियें शाठ अने देश विरतियें बावन्न, ए त्रण गुणगगाना( १५४ ) सामान्यपद , तेने उ उपयोग साथे गुणतां (६४) चोवीशी उदयपदनी थाय, तेने चोवीश गुणा करतां ( २०७३६ ) पदबंद थाय. तथा प्रमत्तें चुम्मालीश, अप्रमत्तें चुम्मालीश, अने अपूर्वकरणे वीश, एम त्रण गुणगणे थक्ष (१७) सामान्यपद थाय. तेने सात उपयोग साथै गुणतां (७५६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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