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सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ. ६
७६३ अयश, ए प्रकृतिने परावर्ते शोल नांगा जाणवा. अहींयां आतप, ज्योत, ते सक्ष्म, साधारण अने अपर्याप्त साथें न होय तेमाटें ते साथें नांगा न कहेवा. तथा यशःकीर्ति पण सूक्ष्म, साधारण श्रने अपर्याप्त साथें न बांधे. अहींयां एक यातप, स्थिर, शुन अने यश. बीजो तप, स्थिर, शुज, अने अयश. त्रीजो श्रातप, स्थिर, अशुज अने यश. चोथो आतप, स्थिर, अशुज अने अयश. पांचमो आतप, अस्थिर, शुन अने यश. हो थातप, अस्थिर, शुज ने अयश. सातमो श्रातप, अस्थिर, अशुन अने यश. उमो आतप, अस्थिर, अशुज ने अयश, ए आठ नांगे एकेजिय पर्याप्त प्रायोग्य आतप साथें बबीश प्रकृति बांधे, तेमज आउनांगें उद्योत साथै बबीश प्रकृति बांधे, एवं शोल नांगा थया. एम एकेजिय प्रायोग्य बांधतां त्रणे बंधस्थानकें थश्ने चालीश जांगा थाय.
हवे बेंज्यि प्रायोग्य बांधताने २५-२५-३० ए त्रण बंधस्थानक होय. तिहां तिर्यचछिक, ३ बेंजियजाति, ५ औदारिकछिक, ६ तेजस, ७ कार्मण, हुंमसंस्थान, ए बेवहुंसंघयण, १० वर्ण, ११ गंध, १५ रस, १३ स्पर्श, १४ श्रगुरुलघु, १५ उपघात, १६ त्रस, १७ बादर, १७ अपर्याप्त, रए प्रत्येक, २० अस्थिर, १ अशुज, २२ दौ ग्य, २३ धनादेय, २४ अयशःकीर्ति, २५ निर्माण, ए पच्चीश प्रकृतिना समुदाय रूप बंधस्थान अपर्याप्त बेंजिय प्रायोग्य मिथ्यादृष्टि मनुष्य तथा तिर्यंच बांधे. अहींयां अपर्याप्त नामनी साथै शुनाशुनादिक परावर्त्तमान प्रकृतिमाहेली अशुजज बंधाय पण शुन न बंधाय, तेथी वहीं बीजो नांगो को उपजे नहीं. मात्र एकज नांगो थाय.
हवे ए पूर्वोक्त पच्चीश प्रकतिने १ पराघात, २ जश्वास, ३ अप्रशस्तविहायोगति, ४ पर्याप्त, ५ फुःखर, ए पांच प्रकृति सहित करीयें श्रने अपर्याप्त रहित करीयें, तेवारें जंगपत्रीश प्रकृतिना समुदाय रूप बंधस्थानक थाय, ते पर्याप्ता बेंजिय प्रायोग्य मिथ्यादृष्टि जीव बांधे. अहीं थिर, अथिर, शुल अने अशुज, यश ने श्रयश, ए प्रकृति पर्याप्ता सहित ने तेथी तेनापरावर्ते एक शुज साथै तथा एक अशुन साथे, एवं बे नंग स्थिरना अने बे अस्थिरना, एवं चार थया. ते चार अयशःकीर्ति साथें तथा चार यशःकीर्ति साथें बांधे, तेवारें बाउ नांगा थाय.
ते जंगणत्रीश प्रकृतिने उद्योत सहित बांधतांत्रीशनुं बंधस्थानक ए पण पर्याप्त बेंजिय प्रायोग्य मिथ्यात्वीने होय. तिहां पण पूर्वोक्त रीतें मांगा था उपजे. ए सर्व मली बैंजिय प्रायोग्य त्रण बंधस्थानकें थश्ने नांगा सत्तर थया.
तेमज तेंजिय प्रायोग्य पण एज त्रण बंधस्थानकें थश्ने सत्तर नांगा कहेवा, पण तिहां एटयु विशेष जे बेंजियजातिने स्थानकें तेंजियजाति कहेवी. तेमज चौरिंजिय
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