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________________ संग्रहणीसूत्र. ॥ हवे ज्योतिषी देवोनां विमानोनी वक्तव्यता कहे जे. ते ज्योतिषी तिर्यक्लोकने विषे बे. ते तिर्यक्लोक मेरुमध्य रुचकथी नवसे योजन नपर, अने नवसे योजन नीचे मली अढारसे योजन प्रमाण बे. त्यां जंचा नवसे योजन जे तिर्यकलोकना बे; तेमां केटलां योजन ऊंचां ज्योतिषिनां विमानो डे ? ते कहे .॥ समनूतलान अहहिं । दसूण जोयणसएहिं आरन ॥ नवरि दसूत्तर जोयण ॥ सयंमि चिंति जोइसिया ॥४॥ अर्थ-मेरुपर्वतना मध्यत्नागे आठ रुचकप्रदेश ते समजूतल कहीए. त्यांथी अहिं जोयण सएहिं के आठसे योजन, ते दसूण के दश योजने अंडा, एटले सातसें ने ने योजन जंचा जएं, त्याहांथी आरन के श्रारंजीने उवरि के उपरे जामपणे-दसूत्तरजोयणसयंमि के एकशो दश योजनमांहे जोरसिया के ज्योतिषी देवो, चिति के रहे . ॥४॥ ॥ते ज्योतिषिदेवो एकसो दश योजनमां केवीरीते रह्या डे ? ते कहे .॥ तब रवी दस जोयण ॥ असी तज्ज्वरि ससीय रिकेसु ॥ अद नरणि सा नगरि ॥ बदि मूलो निंतरे अनिई ॥४ए। श्रर्थ-तब के त्यांथी एटले एकसो दश योजन मांहेला दसजोयण के दश योजन ते, रवी के० सूर्य उंचो . य के वली तमुवरि के तेहना उपर ससी के चंजमा ते असी के एंशी योजन ऊंचो . वली ते थकी चार योजन ऊंचा रिकेसु के नक्षत्र . ते सर्व मली थहावीश नत्र जे. तेमांहे एक जरणीनत्र ते सर्व नक्षत्रथकी अद के अधो एटले नीचे चाले . अने सार के खाति नक्षत्र ते सर्व नदात्रथकी उवार के उपरे चाले . तथा मूलो के० मूलनक्षत्र सर्वथकी बहिं के बाहिरने मंमले चाले बे. सर्व नदात्रने अन्तिरे के वचाले अनिई के अनिचित् नदत्र चाले . ॥ ४ ॥ तार रवि चंद रिका ॥बुद सुका जीव मंगल सणिया ॥ सग सय नजय दस असि॥चन चन कमसो तियाचनसु॥५०॥ अर्थ-समजूतलापृथ्वीथकी सगसय के सातसें ने नजय के नेतु योजन उपरे तार के० तारा बे. ते उपर दश के० दश योजन ऊंचो रवि के सूर्य जे. तेथकी उपर एंसी योजन चंजमा बे. फरी ते थकी उपरे चल के चार योजन ऊंचा रिका के नक्षत्र . तेथी चल के चार योजन ऊंचो बुह के० बुधनामा ग्रह , तेथी ऊंचा तिया के त्रण त्रण योजनने अंतरे चउसु के बाकीना चार ग्रह, ते कमसो के अनुक्रमे डे. ए. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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