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________________ થw षडशीतिनामा चतुर्थ कर्मग्रंथ. ४ तिहां बेकायना हिकसंयोगी पंदर जंग साथै गुणाकार करतां (२०) जंग थाय. एम त्रण विकल्पं थ अगीबार हेतुना नांगा (४१०४०) थाय. हवे पूर्वोक्त दश हेतुमध्ये जय श्रने कुछ। बेनेलीये, तेवारें बार हेतु थाय, तिहां (ए१२०)नंग थाय. तथा एक जय श्रने बे कायनो वध लश्ये, तेवारे (२२७००) थाय. तेमज एक कुडा ने बे कायनो वध लेतां पण (श्श्ज००) थाय, तथा त्रण कायनो वध खश्य, तेवारें त्रण कायना त्रिकसंयोगी वीश जंग साथें गुणाकार करतां (३०४००) जांगा थाय. ए चार विकल्पं बार हेतुना (५१२०) नांगा थाय. हवे पूर्वोक्त दश हेतुमाहे जय, कुछा नेलीयें श्रने बे कायनो वध लश्ये, तेवारें तेर हेतु थाय, तिहां (२०००) थाय. तथा एक नय अने त्रण काय लश्य तेवारें (३०४००) थाय. तथा एक कुछा अने त्रण काय लश्ये, तेवारे (३०४०० ) थाय. अने मात्र चार कायनोज वध लश्ये, तेवारें (२०) थाय. ए चार विकल्पं तेर हेतुना (२०६४०० ) नांगा थाय. हवे पूर्वोक्त दश मध्ये जय, कुछा अने त्रण कायनो वध लश्ये, तेवारें चौद हेतु थाय. तिहां ( ३०४०० ) नांगा थाय. तथा एक जय अने चार काय लश्ये, तेवारें (२०) थाय. कुछा अने चार काय लीजें तेवारें (२०) थाय. पांच काय लीधे (ए१२०) थाय. ए चार विकल्प चौद हेतुना (५१२०) नांगा थाय. हवे पूर्वोक्त दशमध्ये जय, कुछा अने काय चार नेलीयें, तेवारें पंदर हेतु थाय. तिहां जांगा (२०) थाय. जय श्रने पांच काय लीधे (ए१२०) थाय. कुछा अने पांच काय सीधे (ए१२०) थाय. तथा बक्काय लीधे (१५२०) नांगा थाय, एवं चार विकल्पं पंदर हेतुना(४२५६०) नांगा थाय. पूर्वोक्त दशमध्ये जय , कुछा अने पांच काय नेलीये, तेवारे शोल हेतु थाय. तिहां नांगा (ए१२०) थाय. जय अने बक्काय नेले तेवारें ( १५२०) थाय. कुछा अने बक्काय नेले (१५२०) थाय. एम त्रण विकल्पं थश्ने (१५१६० ) नांगा थाय. हवे बकाय, एक इंजिय, चार कषाय, युगल बे मांहेलो एक, वेद एक, जय एक, कुछा एक, योग एक, ए सत्तर हेतुना नांगो (१५२०) थाय. ए रीतें सास्वादन गुणगणे था विकल्प थश्ने (३३०४० जंग थाय. हवे मिश्रगुणगणे (३०२४००) नांगा होय. ते केवी रीतें? तोके मिर्को उत्कृष्टा तेंतालीश हेतु कह्या अने जघन्यथी अनंतानुबंधी न होय माटें एक जीवने एक समय नव, दश, अगीथार, बार, तेर, चौद, पंदर ने उत्कृष्ट शोल हेतु होय. तिहां जघन्यथी काय एक, इंडिय एक, कषाय त्रण, हास्यादि युगल एक, वेद एक, अने दश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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