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________________ लघुक्षेत्र समासप्रकरण. २५१ कलाय वेढघणगणियं ॥ ३१ ॥ अस्यापण्याला || तीसंलरकाति हत्तरीसहसा ॥ पंनरस कलायघणो ॥ दस्सुस होइ बीयम्मि ॥ ३२ ॥ सतहिया तिन्निसया बारस सहसाय पंचलरकाय ॥ अवराय बार सकला ॥ पणुस्सए होइघण गिरियं ॥ ३३ ॥ सत्तासीइगलरका ॥ उणतीस हियाय बिवश्सयाई ॥ उपत्ती सइजागा ॥ चउदसवेयढ घणगणियं ॥ ३४ ॥ हिमवंति सय चउदस, कोडी उत्पन्नलरकसगनउई ॥ सहसा चडयालसयं ॥ सोलसकलबार विकलघणं ॥ ३५ ॥ गुणयाल सयासत्तर ॥ कोमी बत्ती - स लरकसगतीसा ॥ सहसा तिसय अत्तर ॥ बार विकलघणमहादिमवे ॥ ३६ ॥ बगन्नसहसा, रको बासहिल रकसगवीसं, सहसानव सयएगु, एसी हिनिसहस्सघगयिं ॥ ३७ ॥ इतिघनसंग्रहगाथा ॥ ॥ इति श्रीलघुक्षेत्र समास वार्तिके जंबूहीपाधिकारः प्रथमः समाप्तः ॥ उनमो विश्वनाथाय तत्वदर्शिने ॥ ॥ दवे बीजो लवण समुद्रनो अधिकार वखाणे बे. ॥ ad लवण समुद्दा दिगारो जमइ || मूलगाया ॥ गोतिवं लवणोय | जोयण पणनवइ सहसजा तब ॥ समनू - तलान सगस्य ॥ जलवुडी सदसमो गाढो ॥ १९५ ॥ अर्थ- लवणोजय के० जगती थकी बाहेर लवण समुद्रना उजय एटले बन्ने पा साथी जेवारे वचमां शिखानी सन्मुख जोयण पण नवइसहसजा के० ज्यांसुधी पंचाहजार योजन लवण समुद्रमांदे याविएं त्यांसुधी तब के० ते लवण समुद्रमादे गोति के० गोतीर्थ सरखो बे, एटले जेम गाय पाणी पीवाने तलावां प्रवेश करें तेवारे पाठली बाजु उंची होय, अने आगली बाजु नीची होए तेने गोतीर्थ कहीएं. तेम लवणसमुद्रमांदे पण बे पासाथी नीकलीने वचमां श्रावतां पंचाणु हजार योजन सुधी पाउली मी उंची अने आगली भूमी नीची बे, समनूतलथकी एटले धातकीखंडनी दिशिथी, ने जंबूदीपनी जगतीथकी लवणसमुद्रमांदे दिग्मालजणी जतां थोडी थोमी जलवृद्धि यतां पंचाणु हजार योजन ज्यां थाय बे, त्यां समनूतलथकी सातसें योजन पाणीनी उंची वृद्धि बे, अने हजार योजन पाणी उंकुं बे ॥ १०५ ॥ ॥ दवे ए लवण समुद्रनेविषे जलवृद्धि जाणवानुं करण कहे . ॥ तेरासिएण मशि, ल्ल रासिणा संगुणिक अंतिमगं ॥ तं पदमरासिनइयं ॥ वेदं मुणसु लवणजले ॥ १९६॥ अर्थ - तेरा सिए के पहेली त्रण राशी थापीएं. एक धातकीखंडनी राशि पंचाणु हजार योजननी, अने जंबूद्वीपनी दिशिथी जे पंचाणु हजार योजन लवण समुद्रमां Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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