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________________ लघुक्षेत्र समासप्रकरण. ՇԱ नसहित, खडसा के० यावसे योजन ने उपर डुकला के० वे कला एटले सोल हजार व बेतालीश योजन ने उपर बे कला बे. हवे व कुलगिरिनो सामान्यपणे एक विस्तार कहे बे. चडवत्तसहस के० चुमालीश हजार दोसय के० बसें दसुत्तरा के० दश योजन उपर दसकला के दस कला, बे. एटले चुमालीश हजार बसें दश योजन उपर दश कला. एटलो सवे के० सर्व युगल त्रिकनो विस्तार बे. ॥ २८ ॥ ॥ हवे एक गाथाएं करी सात क्षेत्रनो विस्तार जाणवाने अर्थे करण कहे बे. ॥ इग च सोलस का ॥ पुबुत्त विहीइ खित्त जुयल तिगे ॥ विचारं बिंति तदा ॥ चनसहिंको विदेहस्स ॥ २‍ ॥ अर्थ - इग के० एक, चन के० चार सोलस के० सोल अंका के कने पुत्तविही के० पूर्वोक्त विधिएं करी लाखगुणा करीएं. पठी एकसो नेवु जागे वर्हेचीएं तो खीत्त जुयल तिगे के० क्षेत्रजुगल त्रिकने विषे विवरं के० विस्तारप्रते बिंति के० ज्ञानीपुरुषो कहे . तहा के० तेमज चनसहिंको के० चोसठ यांकने लाखगुणा करीएं. तेने एकसोने ने जागे वर्हेचतां जेटली यांक यावे तेटलो विदेहस्स के० महाविदेहने विषे विचारं के० विस्तार थाय, तेप्रते कहे बे ॥ २७ ॥ ॥ हवे नाग वर्हेचतां जे सात क्षेत्रनुं प्रमाण थाय ते वे गाथाएं कहे बे. ॥ पंचसया बीसा ॥ चच्चकला पढम खित्त जुयलंमि ॥ बीए इग वीस सया ॥ पणुत्तरा पंच य कला यं ॥ ३० ॥ अर्थ- पंचसया के पांच ने बबीसा के बवीश एटले पांचसें ने बवीश योजन ने उपर बच्च कल्ला के० ब कला, एटलुं प्रमाण पढमखित्तजुयलंमि के० पेहेलुं जे क्षेत्रनुं युगल जरत तथा ऐरवत-तेने विषे प्रत्येके जाणवुं. वली बीए के बीजुं क्षेत्रनुं युगल जे हेमवंत तथा एरवंत - तेनो प्रत्येके विस्तार इगवीससया के० एकवीशसें पणुतरा के पांच योजन उपर एटले वे हजार एकसो ने पांच योजन ने उपर पंचकलाय के० पांच कला एटलुं विस्तारनुं प्रमाण बे. ॥ ३० ॥ चुलसीसय इगवीसा ॥ इक्ककला तइयगे विदेदि पुणो ॥ तित्तीस सदस बस्सय ॥ चुलसीया तद कला चउरो ॥ ३१ ॥ अर्थ- चुलसीस के० श्राव सहस्र घने चारसें इगवीसा के० एकवीरा योजन उपर इक्ककला के० एक कला एटलो तश्यगे के० त्रीजो युगल एटले हरिवर्ष तथा रम्यकू क्षेत्रनो प्रत्येके विस्तार बे. पुणो के० वली विदे हि के० महाविदेहने विषे तित्तीस Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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