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संग्रहणीसूत्र. वर्णनां जवण के० विमान बे, जेवो विमाननो वर्ण तेवोज ध्वजानो वर्ण सर्वत्र जा
वो. वली जुवनपतिनां नवन, अने व्यंतरनां नगर तथा ज्योतषीनां विमान ते विविहवाला के विविध प्रकारना वर्णनां जे. एटले कोश कालां, को पीलां, को रातां, को नीलां, कोश् श्वेत वर्णनां जाणवां. ए रीते विमानिकने अधिकारे जुवनपति प्र. मुखना नगरादिकना पण वर्ण कह्या. ॥ ११५ ॥ ॥ हवे सौधर्मादिक विमान, लांबपणुं, पहोलपणुं, विमान मांहेलो परिधि ॥
॥अने बाहेरनो परिधि मापवानो विधि कहे .॥ रविणो उदय बंतर ॥ चनणव सहस्स पणसय ग्वीसा ॥ बायाल सठि नागा॥ ककड संकंति दियहंमि ॥ १२६ ॥ एयंमि पुणो गुणिए ॥ ति पंच सग नवय होइ कममाणं ॥ तिगुणमिय दोलका ॥ तेसी सहस्स पंच सया ॥ ११७ ॥ असिई सति नागा ॥ जोयण चन लरक बिसतरि सहस्सा ॥ बच्चसया तेत्तीसा ॥ तीस कलायंच गुणियमि ॥ १२७ ॥ सत्त गुणे ब लरका ॥ गसठि सहस्स उसय गसीया ॥ चनपन्न कला तद नव ॥ गुणमि अमलरक सहा॥११॥ सत्त सया चत्ताला॥ अहारस कलाय श्य कमा चउरो ॥ चंडा चवला जयणा ॥ वेगाय तदा गई चनरो ॥ १० ॥ श्चय गई चनबिं ॥ जय णयरिं नाम केइ मन्नंति ॥ एहिं कमेहिं मिमादि ॥ गईदिं चजरो सुरा कमसो ॥ ११ ॥ विस्कंन आयामं ॥ परिहिं अग्नितरंच बाहिरियं ॥ जुगवं मिणंति बम्मास ॥ जाव न तदावि तेपारं ॥ १२ ॥ पावंति विमाणाणं ॥ केसिंपितु अहव तिगुणयाईए ॥ कम चनगे पत्तेयं ॥ चंडाई गईन जोश्जा ॥ १२३ ॥ तिगुणेण कप्प चनगे ॥ पंच गुणेणंतु अह सुमुणिजा ॥ गेविले सत्तगुणेणं ॥ नव गुणे गुत्तर चनक्के ॥ १४ ॥ अर्थ-ए नव गाथा प्रकटार्थ बे, तथापि कांक अर्थ लखीए बैए. रविणो के० सूर्यनो उदयबंतर के उदय थईने अस्त थाय, तेवारे अंतर केटला योजन- थाय ? ते कहे . चजणव सहस्स के0 चोराणु हजार श्रने पणसय के पांचसो, वली - बीसा के बवीश उपरे, तथा बायालसहिनागा के एक योजनना साठीथा बेता
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