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श्री समयसारनाटक.
६७१ जैसी कंदरा है सैलकी; ऊपरकी चमक दमक पट नूखनकी, धोखे लागे नली जैसी कली है कनैलकी; औगुनकी ओंमी महा नोंमी मोहकी कनोंडी, मायाकी मसूरति है मूरतिदमैलकी; ऐसी देह याहि के सनेह याकी संगतिसों, व्है रही हमारीमति कोलू केसेबैलकी. ॥७॥ गैर गैर रकतके कुंम केसनिके कुंड हाडनिसों नरी जैसे थरी है चु रेलकी; थोरेसे धकाके लगे ऐसे फट जाइ मानो, कागदकी पुरी किधों चादर है चै लकी; सूचै ब्रम वानि गनि मूढ निसों पहिचानि, करै सुखहानि अरुखानि बदफैल की; ऐसी देह याहिके सनेह याकी संगतिसों, व्है रही हमारी मति कोलू केसे बैलकी.
अर्थः- जाणे रेतीनी ढीग बांधी होय, के मसाणनी मढी एटले अपवित्र ठेकाणे हाम मांस, एक थर्बु कयुं होय, वली जेनी अंदर सैल के पहाडनी कंदर के गु फाजे अंधारुं बे, एवं अपवित्र देहरूप स्थान. ते उपरना नूषणना चमक दमकथी शोने बेधोखे के फूग जनकाथी देद जलो लागे .ते उपर दृष्टांत ने के, जेम कनेरनी कलि उपरथी सुंदर देखाय , पण तेमां अंदर बिलकुल सुवास होतो नथी; तेथी उचाटकारी लागे , तेमवतीदेह अवगुणनी जेरडी बे, महामुंडो बे, थने मोहनी कनोंडी के मोहनी काणी आंख बे, तेथी सूजतुं नथी, अने मायानी मसूरति के मायानो समुदायले; एवी मेलनी मूर्ति ए देह बे; एना स्नेहथी श्रने संगतथी श्रमारी मति शेलडीपीलवानुं कोल्हु तेना बलद सरखी बनी गई बे. ॥ ७ ॥
वली ए देखनेविषे ठेकाणे ठेकाणे लोहीनां कुडलां ने, ने अपवित्र केशनी ऊंगले. तेमां हाडकां नरेला बे. जेम चूडेल- व्यंतरीतुं स्थानक होय तेवो एदेह बे. थोमोधको लागवाथी ए देह फूटी जाय बे; जेम कागलनी पुडी अने जुनी मेली चादर ते टकोराथी फाटी जाय, तेम देह फाटी जाय बे; एवी ए देहनी ममताथी ब्रम वाणी के० मिथ्यावाणी सुचै के कहे, अने मूढलोक एनी पिलान राखे डे, श्रने ए देह सुखनी हानिकर्ता ने, अने बदफेलीनी खाण बे. एवा ए देहना स्नेह तथा एनी सोबत थकी श्रमारी बुद्धि शेलमी पीलवाना कोब्हाना बलदनी गति जेवी थई गई. __ हवे कोल्हुना बलदनी अवस्था अने तेनी बराबर संसारी जीवनी गति बे, एवं स्पष्ट करी बतावे जे; अथ कोल्हुका बैलकी अरु संसारी जीव समानरूप कथनं:
॥ सवैया इकतीसाः ॥- पाटी बंधे लोचनसों संकुचै दबोचनिसों, कोचनिकोसोच सोनिवेदे खेद तनको;धाश्वोही धंधा अरु कंधा माहि लग्योजोत,वार वार बारस हैकाय र है मनको; नूखसहे प्यास सहे उर्जनको त्रास सहे, थिरता न गहेन उसास लहे दिनको; पराधीन घूमै जैसो कोदहुकोकमेरो बेल, तेसोश खन्नाव नैया जगवासी जनको.
अर्थः- जेनी शांख उपर पाटी बांधी ,जे दबोच के पगथी वेलवं, तेथी संकोचा
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