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________________ [जैन आगम : एक परिचय लिखी है और पाँचवीं चूला के बारे में यह सूचना है कि 'इस निशीथ नाम की चूलिका की व्याख्या मैं बाद में करूँगा।' (५) सूत्रकृतांगनियुक्ति- यह नियुक्ति सूत्रकृतांगसूत्र पर लिखी गई है। विषयवस्तु- सर्वप्रथम इसमें 'सूत्रकृतांग' शब्द की व्याख्या की गई है। फिर १५ प्रकार के परम-अधार्मिक देवों के नाम गिनाकर यह बताया है कि ये नारकी जीवों को विविध प्रकार की यातनाएँ देते हैं। क्रियावादी, अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादियों के ३६३ मत-मतान्तरों का निर्देश है। इसके बाद गाथा, षोडश, श्रुत, स्कन्ध, पुरुष, विभक्ति आदि शब्दों पर निक्षेपदृष्टि से चिन्तन है और फिर आईककुमार की कथा देकर अन्त में नालन्दा शब्द पर भी विचारणा की गई है। (६) दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति- यह दशाश्रुतस्कन्ध पर लिखी गई है। विषयवस्तु- इसमें सर्वप्रथम श्रुतकेवली भद्रबाहुस्वामी को नमस्कार किया गया है। फिर दश अध्ययनों के अधिकारों का वर्णन हैं। प्रथम अध्ययन असमाधिस्थान में द्रव्य और भावसमाधि के बारे में चिन्तन करने के बाद स्थान के नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, अद्धा, ऊर्ध्व; चर्या, वसति, संयम, प्रग्रह, योध, अचल, गणन, संस्थान (संधाण) और भाव-इन पन्द्रह निक्षेपों की दृष्टि से चिन्तन किया गया है। दूसरे अध्ययन में शबल का नाम आदि ४ निक्षेपों से वर्णन है। तीसरे अध्ययन में आशातना का और चौथे अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002151
Book TitleAgam ek Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, History, & agam_related_other_literature
File Size1 MB
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