SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७८ [जैन आगम : एक परिचय नियुक्तियों में इसका स्थान प्रथम है। यह आवश्यक सूत्र पर लिखी गयी है और काफी विस्तृत है। इसमें अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चिन्तन प्रस्तुत हुआ है। __विषयवस्तु- इसमें भूमिका के रूप में सर्वप्रथम उपोद्घात है। इस उपोद्घात में ८८० गाथाएँ हैं । प्रथम पाँच ज्ञानों का वर्णन है। आभिनिबोधक (मति) ज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधि, मन:पर्ययज्ञानों के भेद-प्रभेद आदि की विस्तृत चर्चा है और अन्त में केवलज्ञान के स्वरूप का वर्णन है। उपोद्घात के बाद छह अध्ययनों में आवश्यक के ६ भेदोंसामायिक, चतुर्विंशतिस्तव, वंदन, प्रतिक्रमण, कायोत्सर्ग और प्रत्याख्यान-का विस्तृत विश्लेषण है। सामायिक अध्ययन में मिथ्यात्व के निर्गमन पर विचार करते हुए भगवान ऋषभदेव के जीवन-चरित्र का विस्तार से वर्णन है। मरीचि का वर्णन करके भगवान महावीर के पूर्वभवों की भी चर्चा है। सप्तनयों का वर्णन है। निन्हवों का नामोल्लेख है। आर्यरक्षित द्वारा अनुयोगों के पृथक् करने की घटना पर भी प्रकाश डाला गया है। ___सामायिक सूत्र में नमस्कार मन्त्र पर उत्पत्ति, निक्षेप, पद, पदार्थ, प्ररूपणा, वस्तु, आक्षेप, प्रसिद्धि, क्रम, प्रयोजन और फलइन ११ दृष्टियों से चिन्तन किया गया है। दूसरे अध्ययन चतुर्विंशतिस्तव में नाम, स्थापना, द्रव्य, भाव, काल और क्षेत्र-इन छह निक्षेपों की दृष्टि से चिन्तन हुआ है। तीसरे वन्दना अध्ययन में वन्दना के सन्दर्भ में-(१) किसे, (२) किसके द्वारा, (३) कब (४) कितनी बार (५) कितनी बार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002151
Book TitleAgam ek Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, History, & agam_related_other_literature
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy