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________________ जैन आगम : एक परिचय ] ३३ विषयवस्तु इस आगम की विषय-वस्तु विशाल है। इसमें विभिन्न विषयों पर प्रश्न हैं और उनके उत्तर भगवान महावीर द्वारा दिये गये हैं । इसी कारण इस आगम की परिधि में सभी प्रकार के विषय आ गये हैं, जैसे जीव, अजीव, पुद्गल, स्वसमय, परसमय, काल, आकाश, लोक, त्रस, स्थावर आदि । -- परमाणु का इसमें सूक्ष्मातिसूक्ष्म विवेचन है और ज्ञान-विज्ञान प्रचुर सामग्री विशाल मात्रा में उपलब्ध होती है । की परिमाण - परिमाण में यह आगम अन्य सभी आगमों से विशाल है । इसमें गणधर गौतम आदि द्वारा पूछे गये छत्तीस हजार (३६०००) प्रश्नों का भगवान महावीर द्वारा दिये गये समाधानों सहित संग्रह है। इसमें सैकड़ों-हजारों विषयों का प्रतिपादन है । प्रस्तुत आगम के शतक और १९२५ उद्देशक हैं । विशेषता - इस आगम की प्रमुख विशेषता यह है कि महामन्त्र नवकार सर्वप्रथम इसी आगम में लिपिबद्ध हुआ है । (६) ज्ञाताधर्मकथा - यह छठवाँ अंग आगम है। इसका प्राकृत नाम नायाधम्मका है। विषयवस्तु - इसके दो श्रुतस्कन्ध हैं । प्रथम श्रुतस्कन्ध में ज्ञात-उदाहरण और दूसरे श्रुतस्कन्ध में धर्मकथाएँ हैं । नायाधम्मकहा का अर्थ अभयदेव सूरि के अनुसार नाथ ( नाय - भगवान महावीर ) द्वारा प्रतिपादित धर्मकथा है। रचनाशैली- इसकी रचनाशैली उदाहरणात्मक है। इसमें उदाहरणों द्वारा धर्मतत्व का कथन किया गया है । परिमाण - इसमें उदाहरणप्रधान धर्मकथाएँ है । उन धीर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.002151
Book TitleAgam ek Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, History, & agam_related_other_literature
File Size1 MB
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