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[ मैन प्रतिमाविज्ञान (४) 'सुपरनेचुरल बीइंग्स इन दि जैन तन्त्रज', आचार्य ध्रुव स्मारक ग्रन्थ (सं० आर० सी० पारिख आदि),
भाग ३, अहमदाबाद, १९४६, पृ०६७-६८ (५) 'आइकानोग्राफी ऑव दि सिक्सटीन जैन महाविद्याज', ज०ई०सी०ओ०आ०, खं० १५, १९४७,
पृ० ११४-७७ (६) 'एज ऑव डिफरेन्शियेशन ऑव दिगंबर ऐण्ड श्वेतांबर इमेजेज ऐण्ड दि अलिएस्ट नोन श्वेतांबर ब्रोन्जेज',
बु०प्रि०वे०म्यू०वे०६०, अं० १, १९५०-५१ (१९५२), पृ० ३०-४० (७) 'ए यूनीक जैन इमेज ऑव जीवन्तस्वामी', ज०ओ०ई०, खं० १, अं० १, सितम्बर १९५१ (१९५२),
पृ० ७२-७९ (८) 'साइडलाइट्स आन दि लाईफ-टाइम सेण्डलवुड इमेज ऑव महावीर', ज०ओ०ई०, खं० १, अं० ४,
जून १९५२, पृ० ३५८-६८ (९) 'ऐन्शियन्ट स्कल्पचसं फ्राम गुजरात ऐण्ड सौराष्ट्र', ज०ई०म्यू०, खं० ८, १९५२, पृ० ४९-५७ (१०) 'श्रीजीवन्तस्वामी' (गुजराती), जै०स०प्र०, वर्ष १७, अं० ५-६, १९५२, पृ० ९८-१०९ (११) 'हरिनैगमेषिन्', ज०ई०सी०ओ०आ०, खं० १९, १९५२-५३, पृ० १९-४१ (१२) 'ऐन अझै ब्रोन्ज इमेज ऑव पार्श्वनाथ इन दि प्रिंस ऑव वेल्स म्यूजियम, बंबई', बु०प्र०वे०म्यू०वे० ई०,
अं० ३, १९५२-५३ (१९५४), पृ० ६३-६५ (१३) 'जैन स्कल्पचर्स फ्राम लाडोल', बु०प्र०वे०म्यू००ई०, अं० ३, १९५२-५३ (१९५४), पृ० ६६-७३ (१४) 'सेवेन ब्रोन्जेज फ्राम लिल्वा-देवा', बु०ब०म्यू०, खं०९, भाग १-२, अप्रैल १९५२-मार्च १९५३ (१९५५),
पृ० ४३-५१ (१५) 'फारेन एलिमेण्ट्स इन जैन लिट्रेचर', इंहि०क्वा०, खं० २९, अं०३, सितम्बर १९५३, पृ०२६०-६५ (१६) 'यक्षज वरशिप इन अर्ली जैन लिट्रेचर', ज०ओ०ई०, खं० ३, अं० १, सितम्बर १९५३, पृ० ५४-७१ (१७) 'बाहुबली : ए यूनीक ब्रोन्ज इन दि म्यूजियम', बु०प्रि०व०म्यू०वे०ई०, अं०४, १९५३-५४, पृ०३२-३९ (१८) 'मोर इमेजेज ऑव जीवन्तस्वामी', ज०ई०म्यू०, खं० ११, १९५५, पृ० ४९-५० (१९) स्टडीज इन जैन आर्ट, बनारस, १९५५ ।। (२०) 'बोन्ज होर्ड फ्राम वसन्तगढ़', ललितकला, अं० १-२, अप्रैल १९५५-मार्च १९५६, पृ० ५५-६५ . (२१) 'परेण्ट्स ऑव दि तीर्थंकरज', बु०प्र०वे०म्यू०वे०ई०, अं० ५,१९५५-५७, प० २४-३२
रेयर स्कल्पचर ऑव मल्लिनाथ', आचार्य विजयवल्लभ सरि स्मति ग्रन्थ (सं०मोतीचन्द्र आदि), बंबई.
१९५६, पृ० १२८ (२३) 'ब्रह्मशांति ऐण्ड कपर्दि यक्षज', ज०एम०एस०यू०ब०, खं० ७, अं० १, मार्च १९५८, पृ० ५९-७२ (२४) अकोटा ब्रोन्जेज, बंबई, १९५९ (२५) 'जैन स्टोरीज इन स्टोन इन दि दिलवाड़ा टेम्पल, माउण्ट आबू', जैन युग, सितम्बर १९५९,
पृ० ३८-४० (२६) 'इण्ट्रोडक्शन ऑव शासनदेवताज इन जैन वरशिप', प्रो०ट्रां ०ओ०का०, २० वा अधिवेशन, भुवनेश्वर,
अक्तूबर १९५९, पूना, १९६१, पृ० १४१-५२ (२७) 'जैन ब्रोन्जेज़ फ्राम कैम्बे', ललित कला, अं० १३, पृ० ३१-३४ (२८) 'ऐन ओल्ड जैन इमेज फाम खेड्ब्रह्मा (नार्थ गुजरात)', ज०ओ०ई०, खं० १०, अं० १, सितम्बर
१९६०, पृ० ६१-६३
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