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[ जैन प्रतिमाविज्ञान -
(२२) 'ए यूनीक त्रि-तीर्थिक जिन इमेज फ्राम देवगढ़', ललित कला, अं० १७, १९७४, पृ० ४१-४२ (२३) 'सम अन्पब्लिश्ड जैन स्कल्पचर्स ऑव गणेश फाम वेस्टनं इण्डिया', जैन जर्नल, खं०९, अं० ३, जनवरी १९७५, पृ० ९०-९२
(२४) 'ऐन अन्पब्लिश्ड जिन इमेज इन दि भारत कला भवन, वाराणसी', वि०ई०ज० खं० १३, अं० १-२, मार्च - सितम्बर १९७५, पृ० ३७३-७५
(२५) 'दि जिन इमेजेज ऑव खजुराहो विद् स्पेशल रेफरेन्स टू अजितनाथ', जैन जर्नल, खं० १०, अं० १, जुलाई १९७५, पृ०२२-२५
(२६) 'जैन यक्ष गोमुख का प्रतिमानिरूपण', श्रमण वर्ष २७, अं० ९ जुलाई १९७६, पृ० २९-३६ (२७) 'दि आइकनोग्राफी ऑव यक्षी सिद्धायिका, ज०ए०सी०, खं० १५, अं० १-४, १९७३ ( मई १९७७), पृ० ९७-१०३
(२८) 'जिन इमेजेज इन दि आर्किअलाजिकल म्यूजियम, खजुराहो', महावीर ऍण्ड हिज टीचिंग्स, (सं० ए०एन० उपाध्ये आदि), भगवान् महावीर २५०० वां निर्वाण महोत्सव समिति, बंबई, १९७७, पृ० ४०९-२८
त्रिपाठी, एल० के०,
(१) एवोल्यूशन ऑव टेम्पल आर्किटेक्चर इन नार्दर्न इण्डिया, पी-एच० डी० की अप्रकाशित थीसिस, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, १९६८
(२) 'दि एराटिक स्कल्पचर्स ऑव खजुराहो ऐण्ड देयर प्राबेबल एक्सप्लानेशन', भारती, अं० ३, १९५९-६०, पृ० ८२ - १०४
दत्त, कालीदास,
(१) 'दि एन्टिक्विटीज ऑव खारी', ऐनुअल रिपोर्ट, वारेन्द्र रिसर्च सोसाइटी, १९२८-२९, पृ० १-११ (२) 'सम अर्ली आकिअलाजिकल फाइन्ड्स ऑव दि सुन्दरबन', माडर्न रिव्यू, खं० ११४, अं० १, जुलाई १९६३, पृ० ३९-४४
दत्त, जी० एस०
'दि आर्ट ऑव बंगाल', माडर्न रिव्यू, खं० ५१, अं० ५, पृ० ५१९ - २९
दयाल, आर०पी०,
'इम्पार्टेण्ट स्कल्पचर्स ऐडेड टू दि प्राविन्शियल म्यूजियम लखनऊ', ज०यू०पी०हि०सो०, खं० ७, भाग २, नवम्बर १९३४, पृ० ७०-७४
दश, एम० पी०,
'जैन एन्टिक्विटीज फ्राम चरंपा', उ०हि०रि०ज० खं० ११, अं० १, १९६२, पृ० ५०-५३ दि वे ऑव बुद्ध पब्लिकेशन डिविजन, गवर्नमेण्ट ऑव इण्डिया, दिल्ली
दीक्षित, एस० के०,
ए गाइड टू दि स्टेट म्यूजियम धुबेला (नवगांव), विन्ध्यप्रदेश, नवगांव, १९५६
दीक्षित, के० एन०,
'सिक्स स्कल्पचर्स फ्राम महोबा', मे०आ०स०इं०, अं० ८, कलकत्ता, १९२१, पृ० १-४
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